नई दिल्ली। पूर्व विदेश मंत्री यशवंत सिन्हा ने कहा है कि तालिबान के साथ संबंधों पर भारत को खुले दिमाग से सोचना चाहिए। उन्होंने सुझाव दिया कि भारत को काबुल में अपना दूतावास खोलना चाहिए और भारतीय राजदूत को वहां वापस भेजना चाहिए। उल्लेखनीय है कि भारत ने अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद पैदा हुए तनाव को देखते हुए मंगलवार को अपने राजदूत रूद्रेंद्र टंडन और काबुल दूतावास के कर्मचारियों को वापस बुला लिया था।
यशवंत सिन्हा ने एक साक्षात्कार में कहा कि अफगानिस्तान के लोग भारत से बहुत प्यार करते हैं, जबकि पाकिस्तान उनके बीच लोकप्रिय नहीं है। उन्होंने कहा भारत सरकार को यह नहीं सोचना चाहिए कि तालिबान पाकिस्तान की गोद में बैठ जाएगा, क्योंकि हर देश अपने हित की सोचता है। उन्होंने कहा तालिबान के काबुल पर कब्जा करने के बाद भारत को दूतावास बंद करने और अपने लोगों को वहां से निकालने के बजाए इंतजार करना चाहिए था।
उन्होंने कहा कि भारत को बड़ा देश होने के नाते तालिबान के साथ विभिन्न मुद्दों को विश्वास के साथ आगे बढ़ना चाहिए। पाकिस्तान, भारत और अफगानिस्तान के रिश्तों के बीच आड़े नहीं आ सकता है। सिन्हा ने कहा कि सच्चाई यह है कि तालिबान का अफगानिस्तान पर नियंत्रण हो गया है और भारत को उसकी सरकार को मान्यता देने या खारिज करने में जल्दबाजी नहीं दिखानी चाहिए।
यशवंत सिन्हा ने कहा 2021 का तालिबान 2001 के तालिबान की तरह नहीं है। वह पहले से बहुत अलग है। वे परिपक्व बयान दे रहे हैं। हमें उस पर ध्यान देना होगा। उन्होंने कहा उन्हें उनके पिछले व्यवहार को देखते हुए खारिज नहीं करना चाहिए। हमें वर्तमान और भविष्य को देखना है। अटल बिहारी वाजपेई की सरकार में सिन्हा विदेश मंत्री थे, लेकिन वह मोदी सरकार के आलोचक हो गए और उन्होंने भाजपा छोड़ दी थी। वर्तमान में वह तृणमूल कांग्रेस के उपाध्यक्ष हैं।

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