नई दिल्ली। वैश्विक भू-स्थानिक सूचना समुदाय को अगले वर्ष अक्टूबर में भारत द्वारा आयोजित किए जाने वाले दूसरे संयुक्त राष्ट्र विश्व भू-स्थानिक सूचना कांग्रेस (यूएनडब्ल्यूजीआईसी) के बारे में सुग्राही बनाया गया और उनके इनपुट 16 अगस्त 2021 को आयोजित एक पूर्वावलोकन कार्यक्रम की सामग्री को डिजाइन करने के लिए लिये गए हैं। अगस्त 2021 के अंत में आयोजित होने वाले वैश्विक भू-स्थानिक सूचना प्रबंधन (यूएन-जीजीआईएम) पर विशेषज्ञों की संयुक्त राष्ट्र समिति के ग्यारहवें सत्र के दौरान पूर्वावलोकन कार्यक्रम आयोजित किया था। भारत सरकार के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) के सचिव प्रोफेसर आशुतोष शर्मा ने कहा कि, “हम अगले वर्ष यूएनडब्ल्यूजीआईसी की मेजबानी करने के लिए उत्साहित हैं और इस आयोजन के लिए अगले साल हैदराबाद में सभी का स्वागत करने के लिए उत्सुक हैं, जो भारत के विकसित भू-स्थानिक पारिस्थितिकी तंत्र की एक झलक प्रस्तुत करेगा। प्रो.आशुतोष शर्मा ने भारत की उदारीकृत भू-स्थानिक नीति और भू-स्थानिक पारिस्थितिकी तंत्र को मजबूत करने पर इसके प्रभाव के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि, हमें इस क्षेत्र को सभी हितधारकों के लिए खुला बनाने, शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों तक लाभ पहुंचाने तथा भू-स्थानिक जानकारी को सभी के लिए सुलभ बनाने की आवश्यकता है। हम “स्वामित्व” योजना के माध्यम से अपनी ग्रामीण आबादी को सशक्त बना रहे हैं, जिसके जरिये ग्रामीण भूस्वामियों को डिजिटल जोत का प्रमाण पत्र दिया जा रहा है। जैसा कि हमारे प्रधानमंत्री कहते हैं, हमारा आदर्श वाक्य “सबका साथ सबका विकास” है, अर्थात, “कोई भी पीछे नहीं रहना चाहिए”, जो सतत विकास का लक्ष्य (एसडीजी) प्राप्त करने के लिए संयुक्त राष्ट्र (यूएन) का मूल दर्शन है, और इसके लिए भारत भी प्रतिबद्ध है। सबसे कम उम्र की पैनलिस्ट और 12वीं कक्षा की छात्रा सुश्री माहिका श्रीवास्तव ने कहा कि, “युवा विभिन्न एसडीजी हासिल करने के लिए भू-स्थानिक जानकारी का उपयोग करने के पथ प्रदर्शक होंगे।”

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