नई दिल्ली। कोरोना की दूसरी लहर ने भारत में जमकर तांडव मचाया लेकिन अब संक्रमण के आंकड़े एक बार फिर से ढलान पर हैं। इसके बावजूद महाराष्ट्र और केरल ऐसे राज्यो हैं जहां अभी भी अन्य राज्यों की तुलना में अधिक मामले देखने को मिल रहे हैं। हालांकि महाराष्ट्र तो महामारी की शुरुआत से ही सबसे बुरी तरह प्रभावित राज्यों में से एक बना हुआ है, लेकिन केरल ने पहली लहर के दौरान प्रकोप को अच्छी तरह से नियंत्रित करने में कामयाबी हासिल की थी लेकिन पिछले कुछ महीनों में यहां भी हालात बिगड़े। महाराष्ट्र में स्वास्थ्य विशेषज्ञों और अधिकारियों ने संक्रमण के बड़े पैमाने पर प्रसार के लिए हाई डेंसिटी, मोबिलिटी और कोविड नियमों के उल्लंघन को जिम्मेदार ठहराया है। मई में, महाराष्ट्र में भारत के कुल कोविड मामलों का एक-आठवां हिस्सा देखने को मिला था और एक-चौथाई मौतें भी महाराष्ट्र में ही हुई थीं। दूसरी ओर अधिक कोरोना जांच के चलते भी महाराष्ट्र में दैनिक मामले अधिक देखे गए। राज्य ने इस साल अप्रैल और मई में 70 लाख से अधिक कोरोना टेस्ट किए गए, जिससे पॉजिटिविटी रेट क्रमशः 24.5 प्रतिशत और 14.4 प्रतिशत रहा। यहां तक ​​कि जब नवंबर 2020 और जनवरी 2021 के बीच मामलों में कमी आई, तब भी महाराष्ट्र ने लगातार हर महीने 18 लाख से अधिक कोरोना टेस्ट कराए थे। केरल ने भी मई में लगभग 40 लाख टेस्ट कराते हुए दूसरी लहर के दौरान टेस्टिंग में तेजी लाई। इससे राष्ट्रीय पॉजिटिविटी रेट औसत 15.43 प्रतिशत के मुकाबले लगभग 24 प्रतिशत हुआ। केरल का मामला मृत्यु अनुपात (सीएफआर) मई में 0.37 प्रतिशत था, हालांकि, राष्ट्रीय औसत 1.33 प्रतिशत से बहुत कम था। दूसरी ओर, इसी महीने महाराष्ट्र में 2.32 प्रतिशत सीएफआर दर्ज किया गया।

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