लॉकडाउन और कोरोना संकट के बीच संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) की एक रिपोर्ट में बताया गया है कि अफगानिस्तान में पाकिस्तान के छह हजार से लेकर 6500 आतंकवादी युद्ध लड़ रहे हैं। इसमें से अकेले लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद के एक हजार आतंकवादी हैं। ज्यादातर पाकिस्तानी आतंकवादी तालिबान के साथ-साथ कंधे से कंधा मिलाकर अफगानिस्तान की निर्वाचित सरकार और अमेरिकी सैनिकों के खिलाफ कार्रवाई कर रहे हैं। यहां सिर्फ तालिबान और अलकायदा ही एक दूसरे से सहयोग नहीं कर रहे हैं, बल्कि कश्मीर केंद्रित पाकिस्तानी आतंकी समूह जैश ए मुहम्मद और लश्कर ए तैयबा भी लक्षित हत्याओं को अंजाम देने के लिए अपने प्रशिक्षक अफगानिस्तान भेज रहे हैं। जहां अमेरिका जल्द अफगानिस्तान से निकलने की फिराक में है। ऐसे में यूएनएससी की रिपोर्ट पर भारत ने इस रिपोर्ट पर पाकिस्तान को फटकार लगाई है।
अपने बयान में भारतीय विदेश मंत्रालय कहा है कि भारत बिल्कुल सही कहता है कि पाकिस्तान आतंकवाद का केंद्र बना हुआ है। पाक आतंकियों का ठिकाना बना हुआ है और उन्हें हथियार, धन के साथ अन्य सहयोग भी देता है। विदेश मंत्रालय ने कहा कि पूरी दुनिया को पाकिस्तान पर दबाव बनाना चाहिए कि वह आतंकवाद के खिलाफ कदम उठाए। हम आगे भी अफगानिस्तान शांति और स्थिरता कायम रखने के लिए सहयोग करते रहेंगे। विदेश मंत्रालय ने कहा कि पाकिस्तान यूएनएससी (UNSC) के प्रस्ताव और एफएटीएफ ( FATF) की चेतावनी के बावजूद आतंकवाद के खिलाफ कदम उठाने में सक्षम नहीं है।
आपकी जानकारी के लिए बता दे कि एनालिटिकल सपोर्ट एंड सैंक्शंस मॉनिटरिंग टीम ने अफगानिस्तान की शांति, स्थायित्व व सुरक्षा के लिए खतरा बने तालिबान और अन्य सहयोगी संगठनों पर अपनी 11वीं रिपोर्ट पिछले हफ्ते यूएनएससी समिति को सौंप दी।इसके मुताबिक, जैश और लश्कर के आतंकी अफगानिस्तान में लड़ाकों की तस्करी में मदद करते हैं जो सलाहकारों, प्रशिक्षकों और इंप्रोवाइस्ड एक्सप्लोसिव डिवाइसेज में विशेषज्ञ के रूप में काम करते हैं। दोनों संगठन सरकारी अधिकारियों और अन्य की लक्षित हत्याओं को अंजाम देने के लिए जिम्मेदार हैं।