नई दिल्ली। नीति आयोग, आरएमआई और आरएमआई इंडिया की नई रिपोर्ट, भारत में फास्ट ट्रैकिंग फ्रेट: स्वच्छ और लागत प्रभावी माल परिवहन के लिए एक रोडमैप, भारत के लिए अपनी लॉजिस्टिक्स लागत को कम करने के लिए महत्वपूर्ण अवसर प्रस्तुत करता है। वस्तुओं और सेवाओं की बढ़ती मांग के कारण भविष्य में माल परिवहन में वृद्धि की उम्मीद की जाती है। यद्यपि माल परिवहन आर्थिक विकास के लिए आवश्यक है लेकिन यह ऊंची लॉजिस्टिक लागत से ग्रस्त है और CO2 में वृद्धि तथा शहरों में वायु प्रदूषण में इसका योगदान रहता है। 2050 तक नाइट्रोजन ऑक्साइड( एनओएक्स) और कण पदार्थ क्रमशः 35 प्रतिशत और 28 प्रतिशत तक घटाने की क्षमता। नीति आयोग के सलाहकार (परिवहन तथा इलेक्ट्रिक मोबिलिटी) सुधेन्दु जे सिन्हा ने कहा कि माल परिवहन भारत की बढ़ती अर्थव्यवस्था की प्रमुख रीढ़ है और अब पहले से कहीं अधिक इस परिवहन प्रणाली को अधिक लागत सक्षम, कुशल और स्वच्छ बनाना महत्वपूर्ण है। कुशल माल परिवहन मेक इन इंडिया, आत्मनिर्भर भारत तथा डिजिटल इंडिया जैसे सरकार के वर्तमान पहलों को हासिल करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। भारत की माल परिवहन गतिविधि 2050 तक पांच गुनी हो जाएगी और लगभग 400 मिलियन नागरिक शहरों की ओर जाएंगे। ऐसे में संपूर्ण प्रणाली में परिवर्तन ही माल ढुलाई क्षेत्र को ऊपर उठा सकता है।
आरएमआई के प्रबंध निदेशक क्ले स्टैंजर ने कहा कि इस परिवर्तन को कुशल रेल आधारित परिवहन, लॉजिस्टिक्स और आपूर्ति श्रृंखला के अधिकतम उपयोग तथा बिजली और अन्य स्वच्छ ईंधन वाहनों में बदलाव जैसे अवसरों का लाभ उठा कर परिभाषित किया जाएगा। इन समाधानों से भारत को अगले तीन दशकों में 311 लाख करोड़ रुपये की बचत करने में मदद मिल सकती है।
यह रिपोर्ट नीति, प्रौद्योगिकी, बाजार, व्यवसाय मॉडल तथा अवसंरचना विकास से संबंधित माल ढुलाई क्षेत्र के समाधान को रखांकित करती है। इन सिफारिशों में रेल नेटवर्क की क्षमता बढ़ाना, इंटरमोडल परिवहन को बढ़ावा देना, वेयरहाउसिंग और ट्रक परिचालन व्यवहारों में सुधार, नीतिगत उपायों और स्वच्छ प्रौद्योगिकी अपनाने के लिए पायलट परियोजनाएं और ईंधन अर्थव्यवस्था के कठोर मानक शामिल हैं। सफलतापूर्वक एक पैमाने पर तैनात किए जाने से प्रस्तावित समाधान लॉजिस्टिक नवाचार में तथा एशिया-प्रशांत क्षेत्र तथा उससे आगे नेतृत्व भारत का नेतृत्व स्थापित करने में सहायता दे सकते हैं।
– रिपोर्ट के अनुसार ये है क्षमताएं
अपनी लॉजिस्टिक लागत में जीडीपी के 4 प्रतिशत तक कमी लाने की क्षमता।
2020-2050 के बीच संचयी CO2 के 10 गीगाटन बचाने की क्षमता।

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