महाराष्ट्र की राजनीति में भीमा कोरेगांव मामला लगातार गहराता जा रहा है। इस मामले की जांच पुणे पुलिस से एनआईए को सौंपे जाने को लेकर एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने कहा कि महाराष्ट्र पुलिस में कुछ लोगों का व्यवहार आपत्तिजनक था। मैं चाहता हूं कि इन अधिकारियों की भूमिका की भी जांच हो। गौरतलब है कि शुक्रवार सुबह महाराष्ट्र सरकार की पुलिस अधिकारियों के साथ बैठक थी जिसमें दोपहर 3 बजे ये मामला एनआईए को हस्तांतरित करने का आदेश दिया गया है। इस मामले पर शरद पवार का कहना है कि यह संविधान के अनुसार गलत है क्योंकि अपराध की जांच राज्य का अधिकार क्षेत्र है।

भीमा कोरेगांव मामले को खत्म करने की तैयारी
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार भीमा कोरेगांव मामले की जांच को केंद्र सरकार ने एनआइए (राष्ट्रीय जांच एजेंसी) को सौंप दिया है। वहीं दूसरी ओर महाराष्ट्र सरकार भीमा कोरेगांव मामले को खत्म करने की तैयारी कर रही थी। इस बीच केंद्र सरकार ने मामले को एनआइए को सौंप दिया। इससे महाराष्ट्र सरकार भी गुस्से में है। इस बारे में राज्य के गृह मंत्री अनिल देशमुख का कहना है कि भीमा कोरेगांव केस की जांच महाराष्ट्र सरकार की सहमति के बिना एनआइए को सौंपी जा रही है। इस मामले की जांच एनआइए को सौंपे जाना संविधान के विरुद्ध है और मैं इसकी निंदा करता हूं।

जनवरी 2018 में हिंसा भड़की..
बता दें कि पुणे के पास स्थित भीमा कोरेगांव में एक जनवरी 2018 को हिंसा भड़की थी और इससे एक दिन पहले ही यहां यलगार परिषद के नाम से रैली भी हुई थी और इस रैली में ही हिंसा भड़काने के लिए भूमिका तैयार की गयी थी। इस के बाद कुछ इलाकों में पत्थरबाजी की घटनायें भी हुई थी। जिसमें एक नौजवान की मौत हो गई थी। पुलिस का कहना था कि यलगार परिषद मात्र एक मुखौटा था और माओवादी इसे अपनी विचारधार के प्रसार के लिए प्रयोग कर रहे थे।

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