मदरलैंड एजेंसी,
सरकार ने परिवार की महिलाओं के खातों में डाले एक-एक हजार रुपए अब मिलकर लड़ेंगे सिंधिया और शिवराज
भोपाल (एजेंसी)। जब सहरिया, बैगा तथा भारिया जनजातियों को पोषण आहार के नाम पर एक हजार रुपए देने की योजना बनी थी, तब प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ही थे। उस समय मुुंगावली और कोलारस में विधानसभा उपचुनाव थे। चुनाव से पहले भाजपा सरकार ने दोनों विधानसभा क्षेत्रों में बड़े-बड़े सरकारी आयोजन करके आदिवासी महिलाओं को बुलाकर उनके खातों में पैसा जमा कराया। हालांकि दोनों उपचुनाव में भाजपा को हार का सामना करना पड़ा था। क्योंकि तब दोनों सीटों पर कांग्रेस की ओर से पूर्व केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के प्रत्याशी खड़े थे। चूंकि उपचुनाव 2018 के विधानसभा चुनाव से ठीक पहले थे। ऐसे में सिंधिया को कांग्रेस की ओर से मुख्यमंत्री पद का संभावित प्रत्याशी माना जा रहा था। तब सिंधिया ने दोनों चुनाव में पूरी ताकत झोंक दी थी। भाजपा की ओर से डेढ़ दर्जन से ज्यादा मंत्री, केंद्रीय नेता, विधायक एवं सांसदों की फौज तैनात थी। इसके बावजूद भी सिंधिया अपने दोनों समर्थकों को चुनाव जिताने में सफल रहे। प्रदेश में बदले राजनीतिक हालातों के बीच सिंधिया कांग्रेस छोड़कर भाजपा में चले गए हैं। उनके साथ ग्वालियर-चंबल के 15 विधायकों ने भी पार्टी छोड़कर भाजपा का दामन थामा हैं। इन सीटों पर अब सिंधिया और भाजपा मिलकर कांग्रेस से मुकाबला करेंगे। अब देखना यह है कि कांग्रेस का परंपरागत आदिवासी वोट बैंक उपचुनाव में भाजपा की ओर आकर्षित होता है या फिर कांग्रेस के साथ ही चलेगा।
15 जिलों के 2300 गांवों में बसते हैं आदिवासी
प्रदेश के 15 जिलों श्योपुर, मुरैना, भिण्ड, ग्वालियर, शिवपुरी, गुना, अशोकनगर, दतिया, शहडोल, उमरिया, अनूपपुर, छिंदवाड़ा, मंडला, बालाघाट तथा डिण्डौरी के 2300 से ज्यादा गांवों में सहरिया, बैगा तथा भारिया जनजातियां बसती हैं। इन जातियों की महिलाओं के लिये आहार अनुदान योजना चलायी जा रही है। इसके अंतर्गत उन्हें हर महीने एक-एक हजार रूपये की राशि दी जाती है। प्रदेश सरकार ने अप्रैल एवं मई माह की राशि जमा करा दी है। पूर्व में कमलनाथ सरकार ने भी इन जातियों को इस योजना का लाभ पहुंचाया था। तीनों विशेष पिछड़ी जातियों के विकास के लिए सहरिया जनजाति, भारिया जनजाति एवं बैगा जनजाति विकास प्राधिकरण हैं। इसके बावजूद भी ये जातियां पिछड़ी ही हैं।