जगदलपुर। बस्तर संभाग आयुक्त जी.आर. चुरेंद्र ने संभाग के सभी कलेक्टरों को निर्देशित किए कि धान के खुदरा व्यापारियों, किराना दुकानदार, कोचिया पर नियंत्रण करें। किसानों के कृषि उपज की विपणन व्यवस्था अर्थात क्रय-विक्रय की व्यवस्था में ग्रामीण-शहरी स्तर के कृषि उपज, उत्पादक, किसान अपना उपज सदियों के परम्परागत तरीके से गांव या आस-पास के खुदरा व्यापारियों, किराना दुकानदार, कोचिया, मंडी के लायसेंसी आदि को विक्रय करते रहें है। विशेष कर धान उपज को जब से सरकार के द्वारा क्रय करना प्रारंम किया गया है तब से खुदरा व्यापारी, किराना दुकानदार कोचिया, मण्डी के लायसेंसी. गांव-गांव में व हाट-बाजारों में धान खरीदी कर गांव के ही किसानों को माध्यम बनाकर उनके किसान पुस्तिका में उन्हें धान उपार्जन केन्द्रों में अपने ओर से खड़े कर उनके नाम पर धान बेचते रहे हैं। इस प्रकार शासन की बहुत बड़ी राशि जो किसानों के हाथों में सीधे जाना चाहिए था, उसे कोचिया, व्यापारी, दुकानदार मण्डी के लायसेंसी हड़पते रहे हैं। आज भी यह हड़पने का कार्य अप्रत्यक्ष रूप से चला आ रहा है। इस पर विराम लगाना जिला प्रशासन व उनके अधिकारी-कर्मचारियों की विशेष जिम्मेदारी है। जिला कलेक्टर्स और उनके अग्रिम पंक्ति के अधिकारियों द्वारा इस पर नकेल कसने विशेष प्रयास हर साल करते हैं। लेकिन शोषक लोग हर बार सफल हो जाते हैं ।
कमिश्नर चुरेंद्र ने कहा कि यदि जिले के अंतर्गत बंद व निष्क्रिय कृषि उपज मंडियों में खुली बोली पद्धति के तहत अभी से धान का विक्रय अभियान में शुरू करा दिया जाये तो 30 नवम्बर तक ग्राम एवं शहर के किराना दुकान, क्षेत्र के व्यापारी, मण्डी के छोटे लायसेंसी एवं खुदरा व्यापारी ये सब लोग वर्तमान में जो गांवों एवं हाट-बाजारों में किसानों से धान क्रय कर रहे हैं, उसे शत-प्रतिशत मण्डी में बिकी करने हेतु विशेष घेराबंदी कर खुली बोली के तहत् जिले के कृषि उपज मण्डी में विक्रय हेतु अनिवार्यत: प्रस्तुत कराई जाएगी। खुली बोली में प्रतिस्पर्धा रहेगा, जिला प्रशासन का छोटे व्यापारियों व किसानों को संरक्षण रहेगा तो व्यापारियों के साथ-साथ किसान भी अपने धान सीधे बेचने के लिए मण्डी प्रांगण में ला सकते हैं।
जब तक शासन के द्वारा उपार्जन केन्द्रों में धान खरीदी प्रारंभ न हो जाए तब तक जिला प्रशासन का पूरा फोकस धान की बिक्री पर होगी। खरीदी प्रारंभ होने अर्थात 01 दिसम्बर 2020 से जनवरी 2021 तक भी मंडियों में धान खरीदी पर निरंतर व्यवस्था व नियंत्रण बनाकर रखा जावे। शासन की नीति के तहत् धान उपार्जन केन्द्रों में खरीदी के समय खरीदी बंद होने के बाद अर्थात 01 फरवरी से आगे समय तक कृषि उपज मंडिय़ों को धान्य उपज के साथ दलहन, तिलहन आदि की खरीदी हेतु निरंतर चालू रखा जाएगा।
कृषि उपज मण्डी की आर्थिक स्थिति मजबूत होगी, जिससे किसानों व क्षेत्र के हित कार्य किया जा सकेगा। शासन द्वारा धान की खरीदी 1 दिसम्बर से प्रारंभ किया जा रहा है, जबकि किसान अपने दिनचर्या की खर्च पूर्ति एवं अन्य अत्यावश्यक खर्चों की पूर्ति के लिए स्थानीय व्यापारियों के पास अपने कृषि उपज धान को कम राशि में बेचने में मजबूर है। मण्डी में खुली बोली से धान की बिक्री होगी तो स्पर्धा का लाभ किसानों को मिलेगा और मंडियों की स्थिति बेहतर होगी।देश की परंपरागत व्यापार-व्यवसाय जो कृषि के क्षेत्र में चल रहा है, उसे संरक्षण मिलेगा। मंडियों में धान्य फसलों की बिक्री कराये जाने से कोचियां, व्यापारी, किराना दुकानदार, मण्डी के छोटे लायसेंसी किसानों से धान लेकर किसान को ही सामने खड़े होकर सरकार के धान उपार्जन केन्द्रों में जो धान बेचते रहे है, उसकी खरीदी में लगने वाली बहुत बड़ी राशि को बचाया जा सकेगा, साथ ही किसानों का शोषण भी खत्म किया जा सकेगा। जिले अंतर्गत बड़े व उन्नतशील किसान जो प्रति एकड़ 15 क्विंटल से अधिक धान का पैदावारी लेते हैं. वे भी सीमा से अधिक उपज की धान को कृषि उपज मंडियों में लाकर बेच सकेगें। इससे किसानों का हितवर्धन होगा और ये बड़े किसान सीमा से अधिक उपज में अपने धान को उपार्जन केन्द्रों में बेचने के लिए गांव के अन्य किसानों को माध्यम नहीं बना सकेगें। जिले के अंतर्गत अभियान चलाकर कृषि उपज मंडियों का सक्रिय संचालन सुनिश्चित करें।

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