मध्य प्रदेश में 24 सीटों पर होने वाला उपचुनाव भाजपा केंद्रीय नेतृत्व और सीएम शिवराज सिंह चौहान के सामने मुश्किल खड़ी कर रहा है। ग्वालियर के महाराज ज्योतिरादित्य सिंधिया की टीम भी इसे अपने सम्मान का सवाल मान रही है। कांग्रेस छोड़कर गए 22 विधायकों में से गैर-सिंधिया गुट के कुछ MLA मंत्री बनने के लिए राजभवन के फोन की प्रतीक्षा कर रहे हैं, वहीं सीएम शिवराज सिंह चौहान, केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, भाजपा उपाध्यक्ष कैलाश विजयवर्गीय के नजदीकी विधायकों को भी इसी क्षण का इंतजार है। बताया जा रहा है कि अब शिवराज के मंत्रिमंडल का विस्तार 7 जून के बाद होगा।

पूर्व की सरकार के मंत्री उम्मीद लगाए बैठे हैं, तो कुछ नए चेहरे भी हैं और सबके बीच में भाजपा को सबसे पहले उपचुनाव की 24 में कम से कम 22 सीटों पर सफलता का लक्ष्य नज़र आ रहा है। 19 जून को राज्यसभा चुनाव होगा, तो ज्योतिरादित्य सिंधिया को दूसरी जीत मिल जाएगी। इससे पहले 29 अप्रैल को सिंधिया ने शिवराज सरकार में पांच में से अपने दो समर्थक पूर्व विधायकों को मंत्री बनवाकर पहली जीत पा ली थी।

तीसरे और चौथे टारगेट के लिए वह भी पूरा जोर लगा रहे हैं। ज्योतिरादित्य ने इसी उद्देश्य से पहली जून को भोपाल दौरे का कार्यक्रम बनाया था। उनके करीबी बताते हैं कि सिंधिया के हिसाब से सबकुछ सही चल रहा है। उनके खास कांग्रेस के पूर्व MLA मंत्री बन सकते हैं। इसके अलावा तीन-चार और बागी विधायकों को मंत्री पद की शपथ ग्रहण की जा सकती है। इस तरह से भाजपा के विधायकों, नेताओं या पूर्व मंत्रियों में से सिर्फ 21-22 लोगों के मंत्री बनने की संभावना है।

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