नई दिल्ली। बिहार में चुनावी बिगुल बज चुका है। इसी के साथ महागठबंधन में सीट बंटवारे को लेकर हलचल भी तेज हो गई है। संभावना है कि 30 सितंबर तक बंद पिटारा खुल जाएगा। यह अलग बात है कि अंदरखाने सीट बंटवारे का खाका लगभग तैयार है। राजद और कांग्रेस पहले से लगभग ड्योढ़ी सीटों पर चुनाव लड़ने जा रहे हैं। कांग्रेस को इस बार लगभग 65 से 70 के बीच सीटें मिलने की उम्मीद है। वहीं वाम दलों के हिस्से करीब 20 सीटें आ सकती हैं। इसमें सबसे बड़ा भागीदार माले रहेगा। वहीं वीआईपी को मिलने वाली सीटें एक अंक में रहने की संभावना है। राज्य विधानसभा चुनावों के लिए पहले चरण की नामांकन प्रक्रिया एक अक्टूबर से शुरू हो जाएगी। वहीं महागठबंधन में अभी सीट बंटवारे की घोषणा नहीं हो पाई है। हालांकि महागठबंधन के नेताओं का तर्क है कि सीट बंटवारा तो अभी एनडीए में भी फाइनल नहीं हुआ। जहां तक राजद की अगुवाई वाले महागठबंधन का सवाल है तो खुद राजद 145 से 150 सीटों पर लड़ेगा। यहां तक कहा जा रहा कि पार्टी ने अपने तमाम उम्मीदवारों को चुनाव क्षेत्र में जाने की हरी झंडी भी दे दी है। बीते एक-डेढ़ माह से सहयोगी दल राजद के दर पर हाजिरी लगा रहे हैं। इसी दरम्यान जीतनराम मांझी की राहें जुदा हो चुकी हैं। हालांकि वो 2015 में भी का ही हिस्सा थे। रालोसपा के उपेंद्र भी कुछ ऐसे ही तेवर दिखा रहे हैं। हालिया दिनों में वाम दलों के नेताओं की आवाजाही जिस तेजी से राजद कार्यालय पर बढ़ी है, उससे उनका महागठबंधन में रहना लगभग तय हो गया है। हालांकि बीते दिनों माले ने कुछ बगावती तेवर दिखाए थे लेकिन सूत्रों का कहना है कि अब बात बन गई है। इस बार सर्वाधिक उत्साह कांग्रेसी खेमे में है। जीत-हार का गणित चाहे जो हो लेकिन पार्टी को इस बार 65 के आसपास सीटें मिलने की उम्मीद है। पिछले चुनाव में कांग्रेस 41 सीटों पर लड़ी थी। अधिक सीटें मिलने से पार्टी का वोट प्रतिशत भी बढ़ेगा और पार्टी अपना जातिगत गणित भी साध सकेगी। पहला विधानसभा चुनाव लड़ रही मुकेश सहनी की वीआईपी को पांच से सात सीटें मिल सकती हैं। महागठबंधन के दलों की निगाहें अब उपेंद्र कुशवाहा के अगले कदम पर हैं। असल में रालोसपा ने राजद के मौजूदा नेतृत्व पर जो सवाल उठाया है, वह पार्टी को नागवार गुजर रहा है। रालोसपा खेमे का कहना है कि यह कैसी दोस्ती है कि राजद हमारे ही नेताओं को तोड़ रहा है। वहीं राजद का कहना है कि असल बात कुछ और है। उनका कहना है कि रालोसपा सीटें तो मांग रही है लेकिन प्रत्याशियों के नाम नहीं बता पा रही। सूत्रों का कहना है कि यदि उपेंद्र कुशवाहा महागठबंधन का हिस्सा रहते हैं तो उनके हिस्से आठ से दस के करीब सीटें आ सकती हैं।