विपक्षी सदस्यों के विरोध के बीच सरकार ने गुरूवार को लोकसभा में महापत्तन प्राधिकरण विधेयक, 2020 पेश किया जिसमें देश में बंदरगाहों के विनियमन, प्रचालन और योजना के लिए तथा महापत्तन प्राधिकरण के बोर्डों में ऐसे बंदरगाहों के प्रशासन, नियंत्रण और प्रबंधन के संबंध में प्रावधान हैं। केंद्रीय पोत परिवहन मंत्री मनसुख एल मांडविया ने सदन में विधेयक पेश किया। विधेयक पेश किये जाने पर आपत्ति जताते हुए कांग्रेस के शशि थरूर ने कहा कि विधेयक का मसौदा बहुत कमजोर है और इसे जल्दबाजी में लाया गया है। इसे अध्ययन करके फिर से पेश किया जाना चाहिए।

तृणमूल कांग्रेस के सौगत रॉय और कांग्रेस के हिबी इडेन ने इसे निजीकरण की दिशा में सरकार का कदम बताया। हालांकि विपक्षी सदस्यों की चिंताओं को खारिज करते हुए केंद्रीय मंत्री मांडविया ने कहा कि सरकार बंदरगाहों का निजीकरण नहीं कर रही। मंत्री ने कहा कि बदलते समय में देश में कई निजी पत्तन भी हैं और सरकार उनसे प्रतिस्पर्धा के लिहाज से सरकारी पत्तनों को मजबूत करने के दौर में विधेयक लाई है। उन्होंने कहा कि पत्तनों से संबंधित अधिकार सरकार के पास ही रहेगा। उन्होंने कहा कि विधेयक पर तीन साल तक विचार-विमर्श किया गया और स्थाई समिति में अध्ययन के बाद इसे लाया गया था। मांडविया ने कहा कि यह विधेयक पिछली लोकसभा में भी आया था और उसका कार्यकाल समाप्त होने के बाद निष्प्रभावी हो गया। उन्होंने कहा कि महापत्तन बोर्डों में पहले भी दो श्रमिक संगठनों के ट्रस्टी होते थे लेकिन जरूरी नहीं था कि वे लोग श्रमिक क्षेत्र से जुड़े हों। मांडविया ने कहा कि अब हम सुनिश्चित करेंगे कि श्रमिकों का प्रतिनिधित्व हो।

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