कोरोना महामारी में भावनात्मक टूटन सभी के हिस्से आई है। कहीं अपनों को खो देने की पीड़ा, तो कहीं बीते सवा साल की त्रासदी में सामाजिक-आर्थिक मोर्चे पर बिगड़ी परिवारों की स्थितियां, या फिर अन्य तरह के संकट। ऐसे में बच्चों और किशोरों का इससे बचा संभव नहीं है। खासतौर से किशोरवय आबादी के लिए संकट बड़ी मानसिक पीड़ा के रूप में देखने को मिल रहा है। अवसाद की समस्या बढ़ रही है। एक ओर अपनों को खो चुके किशोर असहाय महसूस कर रहे हैं, तो दूसरी ओर अकादमिक क्षेत्र में आए ठहराव से भावी जीवन को लेकर बन रही अनिश्चितता का भी उन्हें सामना करना पड़ रहा है।
-रोजगार पर असर
कोरोना महामारी ने दुनिया की अर्थव्यवस्थाओं को झकझोर डाला है। भारत जैसे देश पर इसका सबसे ज्यादा असर पड़ा है, इसमें खासतौर से उत्तर भारत पर। पिछले साल कष्ट सहने के बावजूद प्रवासी कामगार बिहार, उत्तर प्रदेश, झारखंड और पश्चिम बंगाल के अपने गांव तो पहुंच तो गए थे, लेकिन महीने-दो महीने में ही रोजगार का संकट गहराने लगा क्योंकि वहां करने को कुछ रह नहीं गया था। फिर से यह उन्हीं महानगरों और विशेषकर दक्षिण भारत की तरफ लौटने लगे। थोड़ी बहुत आर्थिक मदद भी राज्य और केंद्र सरकार ने दी, लेकिन यह ऊंट के मुंह में जीरे के बराबर रही। ऐसी योजनाओं का खाका अभी भी दूर-दूर तक नहीं दिखाई देता जो इन लोगों को रोजगार दे सके। महामारी से निपटने के लिए पूरे विश्व में टीकाकरण की जरूरत है। टीके के लिए दुनिया के कम से कम सौ राष्ट्र भारत से आस लगाए बैठे हैं।
-वैक्सीन खरीदने में पीछे भारत
देश में कोरोना वैक्सीन की किल्लत के बीच टॉप वायरोलॉजिस्ट का बड़ा बयान सामने आया है। डॉ. गगनदीप कांग ने कहा है कि भारत ने इंटरनेशनल मार्केट से बड़े पैमाने पर कोरोना वैक्सीन खरीदने में देरी कर दी। इससे वह वैक्सीन खरीदने की दौड़ में पीछे रह गया। मोदी सरकार ने वैक्सीन के क्लिनिकल ट्रायल के लिए कोई भुगतान नहीं किया और न ही वैक्सीन के ऑर्डर पाने के लिए कोई एडवांस पेमेंट करने में दिलचस्पी दिखाई। डॉ. कांग ने बताया कि दुनिया के बाकी देश पिछले एक साल से जोखिम लेकर वैक्सीन खरीदने में जुटे हुए थे, लेकिन हमारी सरकार ने कुछ नहीं किया। ऐसे में अब हमारे पास सीमित विकल्प ही बचे हैं।
-पाक में वैक्सीनेशन के लिए हाहाकार
पाकिस्तान इन दिनों कोरोना वैक्सीन की कमी से जूझ रहा है। वहां चीन की कंपनी सिनोफार्मा और रूस अपनी वैक्सीन भेज रहा है। इन्हें लगवाने के लिए कराची, लाहौर सहित हर शहर में लंबी लाइनें लग रही हैं। इस पर भी आलम ये है कि घंटों लाइन में लगे रहने के बाद भी लोगों को टीका नहीं लग पा रहा। लोग इसके लिए रिश्वत देने को भी तैयार हैं। मई में 18 हेल्थकेयर वर्कर वैक्सीन के लिए रिश्वत लेने के इल्जाम में सस्पेंड भी किए गए। हालांकि, लोगों का कहना है कि निजी क्लीनिक में अमीरों के लिए वैक्सीन की कोई कमी नहीं है। सरकार का कहना है कि आपूर्ति कम होने से टीकाकरण की रफ्तार धीमी है।