मदरलैंड /गया  /राजेश मिश्रा 

माँ मंगला गौरी मंदिर की  सुरक्षा में होमगार्ड की तैनाती की गई है।होमगार्ड के जवान अपने कर्तव्य का ईमानदारी से पालन कर रहें हैं। इनकी सराहना मंदिर के पुजारी ने भी किया ।  लॉकडाउन के कारण मंदिर पर इक्का-दुक्का ही दर्शनार्थी    नजर आए।
बताया जाता है कि माँ मंगला का अपना एक अलग महत्व है। इनकी विशेषता यह है कि प्रजापति दक्ष की कन्या सती का विवाह देवाधिदेव महादेव शिव के साथ समपन्न होने के  1 वर्ष अन्दर ही देव सभा हुई और उस सभा में राजा दक्ष के प्रति भगवान शिव ने किसी कारण बस आभार प्रकट नहीं किया ।उनके इस व्यवहार से प्रजापति दक्ष ने अपने को अपमानित मानकर बदला लेने की इच्छा से शिव रहित यज्ञ का अनुष्ठान किया। पुखराज ने देव ऋषि नारद को एवं सती के अतिरिक्त संपूर्ण विश्व को निमंत्रण देने का आदेश दिया ।आदेश का पालन किया गया नियत समय पर यज्ञ आरंभ हो गया।इस यज्ञ की जानकारी सती को अन्य देवी देवताओं के माध्यम से प्राप्त हुई कि मेरे पिता घर पर यज्ञ कर रहे हैं ।सती ने यह जानकर भोलेनाथ से अपने मायके जाने कि आज्ञा माँगी। वे आमंत्रित नहीं होने के कारण आज्ञा नहीं दिए ।आज्ञा  ना मिलने पर सती शिव के अनुमति के बिना ही  अपने पिता के घर चली गई।वहाँ जा कर जब यह देखी कि शिव का इस यज्ञ में कोई स्थान नहीं है। यह देख सती काफी क्रोधित हो गयी और  गुसे की अवस्था में यज्ञ कुंड में कूद गयी तदोपरान्त ये घटना शिव को ज्ञात हुआ तो वे सती के शव को लेकर तीनों लोक में टांडव करने लगे ब्रह्मा जी तथा देवगन  इस व्यवस्था को देखकर भयभीत हो विष्णु के पास गए तथा भगवान शिव के क्रोध शान्त करने के लिए विष्णु से प्रार्थना की विष्णु ने अपने सुदर्शन चक्र द्वारा सती का अंग खंड-खंड कर डालें। वह खंड  जिस स्थान पर गिरा वह स्थान पवित्र शक्तिपीठों में वर्णित हो गया देवी इन सभी स्थलों पर नित्य विद्वान रहती है तथा शिव भैरव रूप में पूजित है माँ मंगला का मंदिर गया हर्षित कूट पर्वत पर स्थित है  बताया जाता कि यहां माँ सती का स्तन भाग गिरा था जिससे यह पालन पीठ बन गया और यह स्थान माँ मंगला के नाम से प्रसिद्ध हुई और  यहां दंडी स्वामी का महल है गिरी ब्राहमन के द्वारा अखंड दीप प्रज्वलित किया जाता तब से आज तक ज्योति प्रज्वलित है नवरात्रि में यहां का मुख पूजन माना जाता है मंगलवार को विशेष रूप से यहां भीड़ होती है ऐसी मान्यता है कि मंगलवार के दिन मंगला का पूजा मंगल कार्य है तथा मंगल ग्रह की भी   कुदृष्टि से रक्षा होती है माँ मंगला जो है यह क्रीम स्टाफ निवारनी मंगला की पूजा तीनों समय सात्विक, राजसिक एवं तामसिक में करने का विधान है हर प्रकार के साधक माँ की कृपा प्राप्त करते हैं तीन समय भगवती की नित्य पूजा होती है प्रथम बाल मुहूर्त में द्वितीय मध्यान्ह काल में तृतीय मध्य रात्रि में हमेशा नहीं किंतु भक्तों की इच्छा भगवती की कृपा से पूर्ण होती है। रत्नावली भी की जाती है मा मंगला गौरी मंदिर में बलि का ही प्रधान है नवरात्रि में पूजन के अलावा कुछ भक्त फलाहार वितरण एवं भंडारे का आयोजन करते हैं देश के हर प्रांत से भक्त आते हैं उनकी सुविधा के लिए धर्मशाला शौचालय सुरक्षा के लिए प्रशासन का भी सहयोग प्राप्त होता है रामायण गीता दुर्गा सप्तशती पाठ के अलावे महाविद्या साधक अपने आराधना कुल परंपरा से करते हैं और भगवती की कृपा प्राप्त धन हो जाते हैं
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