मदरलैंड संवाददाता छपरा।
छपरा : विधान पार्षद डॉ वीरेंद्र नारायण यादव ने हड़ताली शिक्षकों का पक्ष लेते हुए कहा है कि शिक्षक कोई पूंजीपति वर्ग या बड़े घराने से नहीं आते। बहुत मुश्किल से इनका जीविकोपार्जन चलता है। इनकी रोजी रोटी वेतन से चलती है। बाल बच्चों की पढ़ाई लिखाई ,दवाई , नून , तेल, लकड़ी सबकुछ वेतन से होता है। इसलिए मैंने शिक्षा मंत्री से आग्रह किया था विधान परिषद में बजट भाषण में भी मैंने कहा था कि शिक्षकों का वेतन दिया जाए। बिहार सरकार ने पैसा भेजा भी है तो प्रधान सचिव ने शर्त लगा दिया है कि जो लोग हड़ताल पर हैं उन्हें वेतन नहीं दिया जाएगा । इस शर्त को उन्हें मानवीय दृष्टि से तत्काल हटा देना चाहिए। हड़ताल करना विरोध करना किसी भी लोकतांत्रिक सरकार में जीवंत रूप से चलता रहता है सरकार का कार्य मनुष्यता के पक्ष में निर्णय लेना होता है। मैं बिहार सरकार से अपील करता हूं की हड़ताल पर गए शिक्षकों से विषम परिस्थिति में काम पर लौटने के लिए अपील करें और उनके सारे वेतन का भुगतान शीघ्र अति शीघ्र मानवता के आधार पर करना चाहिए। जब पूरी दुनिया में लोगों को भोजन नहीं मिल रहा है।ऐसे में बिहार सरकार राज्य के बाहर एवं राज्य में लोगों के लिए भोजन और दवा का प्रबंध कर रही है तो शिक्षकों के साथ ऐसा भेदभाव क्यों कर रही है। ये भी काम करते हैं और उसी से इनका जीवन चलता है। इनका जो वेतन देने का पक्ष है तत्काल दिया जाए।शिक्षकों के साथ जो कानूनी पेचिदगियां है उसे शिक्षक नेताओ के साथ बैठ कर दूर कर लिया जाएगा।