नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने मानव तस्करी के मुद्दे पर पंजाब सरकार को लिखे गए पत्र को किसान आंदोलन से जोड़ने वाली मीडिया रिपोर्टों पर नाराजगी जताई है। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने शनिवार को इन रिपोर्ट को विकृत और भ्रामक बताया और कहा कि कानून व्यवस्था के मुद्दों पर औपचारिक पत्राचार का कोई कारण नहीं लगाया जाना चाहिए। गृह मंत्रालय ने सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) की तरफ से बचाए गए 58 बंधुआ मजदूरों के मुद्दे पर 17 मार्च को पंजाब सरकार को पत्र लिखा था। कुछ मीडिया रिपोर्ट में कहा गया था कि गृह मंत्रालय ने पत्र में नए कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन कर रहे किसानों पर गंभीर आरोप लगाए हैं। इन रिपोर्ट को लेकर ही गृह मंत्रालय ने नाराजगी जताई। मंत्रालय ने कहा कि मीडिया के एक वर्ग में भ्रामक और गलत तथ्यों वाली रिपोर्ट पेश की है, जबकि यह पत्र पंजाब के चार सीमावर्ती संवेदनशील जिलों में पिछले दो साल के दौरान उभरी सामाजिक-आर्थिक समस्या के बारे में एक सामान्य राय थी। इस समस्या की तरफ गृह मंत्रालय का ध्यान संबंधित केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल (सीएपीएफ) ने खींचा था। मंत्रालय ने कहा कि पत्र की प्रति केंद्रीय श्रम व रोजगार मंत्रालय के सचिव को भी भेजा गया था और ऐसी घटनाओं के खिलाफ सभी राज्यों में एक संवेदनशील कार्रवाई अभियान चलवाने का आग्रह किया गया था। मंत्रालय ने कहा कि पत्र में स्पष्ट तौर पर केवल यह कहा गया था कि मानव तस्करी गिरोह ऐसे मजदूरों को अपने साथ लेकर जाते हैं और उनका शोषण करते हैं, कम मजदूरी देते हैं और उनसे ज्यादा काम लेने के लिए नशीली दवाओं का आदी बनाकर अमानवीय व्यवहार करते हैं। इससे मजदूरों का मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य प्रभावित होता है। मंत्रालय ने कहा कि इस समस्या की व्यापकता को देखते हुए केंद्र ने राज्य सरकारों से महज उचित कदम उठाने की गुजारिश की थी।
– क्या है मामला
गृह मंत्रालय ने पंजाब सरकार के मुख्य सचिव को लिखे पत्र में कहा था कि बीएसएफ ने 2019 और 2020 में चार संवेदनशील सीमावर्ती जिलों गुरदासपुर, अमृतसर, फिरोजपुर और अबोहर से 58 बंधुआ मजदूरों को छुड़ाया है। बिहार और उत्तर प्रदेश के इन मजदूरों को ज्यादा वेतन का लालच लेकर पंजाब लाया गया था, लेकिन पंजाब पहुंचने के बाद उनसे नशीली दवाओं व धमकी के जरिये अमानवीय हालातों में काम कराया जा रहा था।