नई दिल्ली। भारत के मुख्य न्यायाधीश एन.वी. रमना ने कहा कि मामलों का फैसला करना आसान नहीं है, और फैसले के नतीजों और इसके द्वारा स्थापित की जाने वाली मिसाल को ध्यान में रखना भी महत्वपूर्ण है। सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (एससीबीए) द्वारा आयोजित न्यायमूर्ति अशोक भूषण के आभासी विदाई समारोह में कहा ‎कि मामलों को तय करना आसान काम नहीं है। हमें न केवल कानून और इस मुद्दे के आसपास के उदाहरणों पर ध्यान केंद्रित करना है। हमें यह भी ध्यान रखना चाहिए कि हम क्या निर्णय लेते हैं और कैसी मिसाल कायम कर रहे हैं। सीजेआई ने जोर देकर कहा कि इससे न्यायाधीशों का तार्किक, वस्तुनिष्ठ और सैद्धांतिक रूप से स्वस्थ होना आवश्यक हो जाता है। उन्होंने कहा, हालांकि, हमें मामलों के पीछे लोगों और उनकी कठिनाइयों की दृष्टि नहीं खोनी चाहिए। हमें जो थोड़ा विवेकाधिकार दिया गया है, वह वह क्षेत्र है जिसमें एक न्यायाधीश को अपने दर्शन को प्रदर्शित करने का लचीलापन होता है।
उन्होंने कहा कि यह न्यायमूर्ति भूषण का दर्शन है जो उन्हें अन्य सभी से अलग करता है और उन्होंने अपने उल्लेखनीय निर्णयों के साथ, न केवल भारतीय न्यायपालिका के इतिहास में एक अमिट छाप छोड़ी है, बल्कि एक मानवतावादी न्यायाधीश होने के नाते, लोगों के दिलो-दिमाग में छाप छोड़ी है। उन्होंने कहा ‎कि बार संस्था का रक्षक है। वकीलों को संस्था का सम्मान करना चाहिए और न्यायपालिका को किसी भी ऐसे हमले से बचाना चाहिए जिससे न्यायिक प्रणाली के कामकाज पर असर पड़ने की संभावना हो।

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