नई दिल्ली । औषधीय गुणों वाले शहद में मिलावट को लेकर देश की दो बड़ी एफएमसीजी कंपनियां- डाबर और मैरिको आपस में भिड़ गई हैं। विवाद इतना बढ़ गया है कि दोनों कंपनियां मामले को भारतीय विज्ञापन मानक परिषद (एएससीआई) के पास ले गई हैं। इस बीच, विज्ञापन नियामक एएससीआई ने किसी ब्रांड का नाम लिए बिना कहा है कि उसे पिछले कुछ महीनों में शहद ब्रांडों के खिलाफ चार शिकायतें मिली हैं। डाबर ने दावा किया है कि प्रतिस्पर्धी कंपनी मैरिको सफोला शहद को लेकर गलत विज्ञापन दिखा रही है। डाबर के मुताबिक मैरिको का सफोला शहद ब्रांड न्यूक्लियर मैग्नेटिक रेजोनेंस यानी एनएमआर परीक्षण पर खरा नहीं उतरा है। डाबर के मुताबिक परीक्षण रिपोर्ट साफ तौर पर सफोला शहद में चीनी सिरप की मौजूदगी का संकेत देती है। इस मामले को लेकर डाबर ने मैरिको के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई है।
डाबर के इस दावे को खारिज करते हुए मैरिको का कहना है कि सफोला शहद, भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) के सभी गुणवत्ता मानकों पर भी खरा उतरता है। इससे पहले, मैरिको ने एएससीआई के समक्ष शिकायत दर्ज कराई थी। मैरिको ने डाबर के इस दावे को चुनौती दी कि उसका शहद जर्मन एनएमआर परीक्षण में सफल रहा है। मैरिको के मुताबिक डाबर ने अपने उत्पाद डाबर हनी को लेकर दावा किया है कि यह एनएमआर जांच के अनुसार शुद्ध शहद है। एनएमआर पर खरा होने का दावा गलत और गुमराह करने वाला पाया गया है। हाल ही में सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरमेंट (सीएसई) की जांच में पता चला है कि देश की कई बड़ी नामी कंपनियां ग्राहकों को मिलावटी शहद बेच रही हैं। इनमें डाबर, पतंजलि, बैद्यनाथ, झंडू, हितकारी और एपिस हिमालय जैसी कंपनियां भी शामिल हैं। हालांकि, डाबर और पतंजलि का कहना है कि हम भारत में ही प्राकृतिक तौर पर मिलने वाला शहद इकट्ठा करते हैं और उसी को बेचते हैं। इन दोनों कंपनियों के मुताबिक सीएसई जांच के जरिए ब्रांड्स की छवि खराब करने की कोशिश की जा रही है।

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