मदरलैण्ड संवाददाता,

गोपालगंज। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने शिलान्यास के आठ वर्षों बाद बनकर तैयार सत्तरघाट महासेतु का उद्घाटन किया। उन्होंने पटना से ही वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से जनता को समर्पित किया। इस पुल के बन जाने से सारण-तिरहुत प्रमंडलों के कई जिलों के बीच दूरी घट गई हैं। करीब 40 लाख से अधिक की आबादी को फायदा होगा। इस पुल का निर्माण बिहार राज्य पुल निर्माण निगम द्वारा पुल का निर्माण वशिष्ट कंस्ट्रक्शन कंपनी से कराया गया है। बता दें कि 20 अप्रैल 2012 को सीएम नीतीश ने नारायणी नदी गंडक नदी पर सत्तरघाट महासेतु का शिलान्यास किया था। गौरतलब है कि 1440 मीटर लंबा यह महासेतु डेटलाइन बीतने के तीन साल बाद पूरा पाया है। हालांकि इसका उद्घाटन लॉकडाउन के पहले ही हो जाता लेकिन अनलॉक 1 के बाद पुल का उद्घाटन मंगलवार को होना तय किया गया था। वही गंडक नदी पर बने महासेतु के चालू हो जाने से सिवान, सारण, गोपालगंज के अलावे उत्तर प्रदेश के देवरिया, कुशीनगर,बलिया, वाराणसी जिलों से नेपाल की दूरी सौ किलोमीटर तक कम हो गई है।राम-जानकी पथ इसी महासेतु से होकर बन रही है जिससे अयोध्या से जनकपुर तक जाने का रास्ता अब आसान साबित होगा।राम-जानकी पथ के निर्माण के बाद सैलानियों के आवागमन के लिए यह मुख्य मार्ग साबित होगा।सत्तरघाट महासेतु होकर राम-जानकी पथ गुजरेगा। इससे पर्यटन को भी बढ़ावा मिलेगा। बोधगया से केसरिया बौद्ध स्तूप तक जाने वाले सैलानियों के लिए यह संक्षिप्त और अहम मार्ग साबित होगा जबकि नेपाल के जनकपुर धाम जाने के लिए श्रद्धालुओं के लिए यह आसान रास्ता बन गया है।इस महासेतु के निर्माण होने के बाद धनेश्वरनाथ मंदिर सिंहासनी, केसरिया शिव मंदिर, अरेराज शिव मंदिर सहित जनकपुर जाने वाले श्रद्धालुओं को आसानी होगी। इस पुल के निर्माण में करीब 264 करोड़ की लागत आई है। इस पुल के बनने के बाद नक्सलियो के गढ़ कहे जाने वाले इस इलाके में अब विकास की गति तेज होगी और किसानो को अपनी फसल को बेचने के लिए बड़ा बाजार मिलेगा। आपको बता दें कि सीएम नीतीश कुमार ने कहा की इस महासेतु के निर्माण का आधारशिला वर्ष 2012 में रखी गयी थी। इसे बनाने में 3 वर्षो का समय निर्धारित किया गया था, लेकिन भूमि सम्बन्धी मामले और अन्य अड़चनों की वजह से एक लंबा वक्त लगा।
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