अहमदाबाद | मुख्यमंत्री विजय रूपाणी ने राज्य में फायर सेफ्टी नियमों को कड़ाई से लागू कर लोगों के जान-माल की सुरक्षा करने के लिए फायर सेफ्टी के संबंध में कई महत्वपूर्ण निर्णय किए हैं। इस संबंध में महत्वपूर्ण घोषणा करते हुए उन्होंने कहा कि राज्य में सभी बहुमंजिला इमारतों, वाणिज्यिक परिसरों, स्कूल, कॉलेज, हॉस्पिटल और औद्योगिक इकाइयों के लिए फायर सेफ्टी अनापत्ति प्रमाण पत्र (एनओसी) ऑनलाइन प्राप्त करने की प्रक्रियाओं के संबंध में राज्य सरकार पारदर्शी तरीके सेफायर सेफ्टी कॉम्प्लायंस पोर्टल (फायर सेफ्टी कॉप)विकसित करेगी। मुख्यमंत्री ने इस कार्य में गति लाने के साथ ही राज्य में युवा इंजीनियरों को स्वतंत्र रूप से फायर सेफ्टी अधिकारी के तौर पर स्वरोजगार मुहैया कराने की एक अभिनव पहल की है। मुख्यमंत्री के क्रांतिकारी निर्णय के अनुसार राज्य में फायर सर्विस के क्षेत्र में करियर बनाकर फायर सेफ्टी अधिकारी के रूप में युवा इंजीनियरों को निर्दिष्ट जरूरी प्रशिक्षण लेने के बाद फायर सेफ्टी अधिकारी के तौर पर निजी प्रैक्टीस के लिए राज्य सरकार मंजूरी देगी। विभिन्न नगरों और महानगरों में ऐसे स्वतंत्र रूप से प्रैक्टीस करने वाले निजी फायर सेफ्टी अधिकारियों की पैनल तैयार की जाएगी। मुख्यमंत्री के इस निर्णय से नगरों और महानगरों के स्थानीय प्रशासन में फायर सेफ्टी, एनओसी और रिन्यूअल यानी नवीनीकरण आदि कार्यों का मौजूदा कार्य बोझ काफी हद तक हल्का हो जाएगा। इतना ही नहीं, बिल्डिंग धारकों और लोगों को एनओसी प्राप्त करने तथा नवीनीकरण कराने में आसानी रहेगी। ऐसे निजी फायर सेफ्टी अधिकारियों की नियुक्ति गुजरात फायर प्रिवेन्शन एंड लाइफ सेफ्टी मिजर्स एक्ट-2013 की धारा-12 के प्रावधान के अनुसार की जाएगी। मुख्यमंत्री के इस निर्णय के चलते राज्य में बड़े पैमाने पर बहुमंजिला इमारतों, कॉमर्शियल कॉम्प्लेक्स, स्कूल-कॉलेज, हॉस्पिटलों और औद्योगिक इकाइयों द्वारा लिए जाने वाले फायर एनओसी तथा हर छह महीने में नवीनीकरण कराने की सेवाएं तवरित और अविलंब मिलने लगेंगी। यही नहीं, ऐसे संपत्ति मालिक या कब्जेदारों को उनकी पसंद के अनुसार फायर सेफ्टी अधिकारी की सेवाएं लेने का विकल्प मिलेगा। राज्य में नगरों और महानगरों के स्थानीय प्रशासन के फायर अधिकारियों के अलावा अब ऐसे निजी और प्रशिक्षित युवा फायर सेफ्टी अधिकारी का पेशेवर विशेषज्ञता वाला विशाल कैडर भी उपलब्ध होगा।
रूपाणी ने कहा कि हमने तो लोगों की सलामती और सुरक्षा के साथ ईज ऑफ लिविंग यानी जीवन जीने की सुगमता में वृद्धि का दृष्टिकोण अपनाया है। लोगों को अपने काम के लिए किसी मंजूरी या अनुमति के लिए कार्यालयों का चक्कर ही न लगाना पड़े और घर बैठे ऑनलाइन काम निपट जाए इस तरह मानवीय हस्तक्षेप को कम करते हुए फेसलेस सेवाएं विकसित करते जा रहे हैं। गुजरात में ऑनलाइन डेवलपमेंट परमिशन सिस्टम (ओडीपीएस) के सफल क्रियान्वयन के बाद अब देश में और एक नवीन कदम हमने उठाया है। राज्य सरकार ने यह निर्धारित किया है कि फायर एनओसी लेने के लिए लोगों को कार्यालयों में जाना ही न पड़े उसके लिए पारदर्शिता लाने को फायर सेफ्टी कॉम्प्लायंस पोर्टल (फायर सेफ्टी कॉप) विकसित किया जाएगा। इस पोर्टल पर नए फायर सेफ्टी एनओसी, नवीनीकरण, ऑनलाइन भुगतान और फायर सेफ्टी अधिकारियों की जानकारी सहित तमाम विवरण सरलता से उंगली के इशारे पर मिलेंगे। इस समूची ऑनलाइन पोर्टल व्यवस्था को जटिल नहीं बल्कि सरल और सहज तथा पूरे राज्य के लिए एक समान बनाने का ध्येय रखा गया है। सरलीकरण कुछ इस तरह किया है कि ऑनलाइन भरा जाने वाला फॉर्म, आवेदन और प्रमाण पत्र सहित सब कुछ सामान्य व्यक्ति को भी समझ में आए और वह बिना किसी की मदद के स्वयं ही अप्लाई कर सके। इस तरह से जो प्रमाण पत्र प्राप्त किए जाएंगे उसमें नई बिल्डिंग के लिए फायर सेफ्टी सर्टिफिकेट 3 वर्ष के लिए मान्य रहेगा जबकि रिन्यूअल या नवीनीकरण सर्टिफिकेट 2 वर्ष के लिए मान्य रखा जाएगा। फायर सेफ्टी अधिकारी को हर छह महीने में ऐसी इमारतों में आग और सलामती के उपायों की स्वयं जांच कर फील्ड विजिट करने के बाद योग्यता प्रमाण पत्र सिस्टम में अपलोड करना होगा। राज्य सरकार ने इस उद्देश्य से फायर सेफ्टी विशेषज्ञों और टाउन प्लानर्स इंजीनियरों की सलाह लेकर विभिन्न प्रकार की इमारतों के लिए फायर सेफ्टी अधिकारियों की व्यापक चेकलिस्ट यानी परीक्षण सूची विकसित करते हुए 220 मानक चेकलिस्ट बनाने की प्रक्रिया भी शुरू की है। मुख्यमंत्री ने आगे कहा कि गुजरात औद्योगिक, वाणिज्यिक और व्यापार सहित तमाम क्षेत्रों में तेजी से विकसित हो रहा देश का रोल मॉडल राज्य है। इस सर्वग्राही विकास के परिणाम स्वरूप स्वाभाविक रूप से यहां लोगों के रहने, ऑफिसों और व्यवसाय के लिए इमारतों की जरूरत रहती है। ऐसी इमारतों या बहुमंजिला भवन में रहने वाले या व्यापार-व्यवसाय के लिए रोजाना आने वाले नागरिकों की आग जैसी दुर्घटना से सलामती और सुरक्षा सरकार क शीर्ष प्राथमिकता है। उन्होंने कहा कि आग लगने की घटनाएं और उसमें होने वाली निर्दोष लोगों की मौत और जान-माल के नुकसान को राज्य सरकार किसी भी स्थिति में बर्दाश्त करने के मूड में नहीं है, इसलिए हम राज्य में फायर सेफ्टी के नियमों को कड़ाई से लागू करने को प्रतिबद्ध हैं। उन्होंने कहा कि किसी भी बिल्डिंग, इमारत या कॉम्प्लेक्स में फायर सेफ्टी सुविधा की ढिलाई या त्रुटि को सरकार बर्दाश्त नहीं करेगी। ऐसे मकानों या कॉम्पलेक्स वगैरह में फायर एनओसी अनिवार्य है। इसी तरह, समय-समय पर उसका नवीनीकरण करवाना भी आवश्यक है। इसके साथ ही केवल एनओसी प्रदान कर बैठे रहने के बजाय फायर अधिकारी समय-समय पर ऐसे मकानों की प्रत्यक्ष जांच करे, योग्यता का परीक्षण करे ऐसा हमारा दृष्टिकोण है।
स्वाभाविक है कि नगरपालिका, महानगरपालिका और सरकार के दमकल विभाग सभी के पास आग के अलावा भी प्राकृतिक या मानव निर्मित आपदा में राहत और बचाव कार्य का बोझ होता है। ऐसी स्थिति में गुजरात में हमने एक नवीन पहल करते हुए निजी युवा इंजीनियरों तथा अग्निशमन क्षेत्र में अध्ययन करने वाले युवाओं को फायर सेफ्टी का आवश्यक प्रशिक्षण देने के बाद फायर सेफ्टी अधिकारी के रूप में प्रैक्टिस-इम्पैनल्ड करने का निर्णय दो महीने पहले किया था। उन्होंने कहा कि फायर सेफ्टी की शुरुआत किसी भी इमारत की डिजाइन तैयार करने के चरण से ही हो जाती है। डेवलपर को निर्माण कार्य की अनुमति लेने के दौरान ही फायर सेफ्टी प्लान की मंजूरी लेनी होगी। निर्माण कार्य पूरा होने के बाद फायर सेफ्टी प्रमाण पत्र और उसके बाद अग्निशमन व्यवस्था सब कुछ जांच करने के बाद ही फायर सेफ्टी सर्टिफिकेट का नवीनीकरण होगा। इमारत के मूल प्लान में बताए अनुसार समग्र लाइफ टाइम के दौरान यह फायर सिस्टम प्रभावी स्थिति में रहे, उसके लिए समय-समय पर जांच-मुआयने के बाद ही सर्टिफिकेट का नवीनीकरण कराना पड़ेगा। अब तो गांव, नगरों सहित छोटे-बड़े तमाम शहरों में ऊंची इमारतें बन गई हैं, तब ऐसे फायर सेफ्टी का लगातार परीक्षण होता रहे यह जरूरी है। उन्होंने कहा कि हमने स्थानीय निकाय संस्थाओं के दमकल कर्मियों के काम का बोझ कम हो और जोश से लबरेज नए युवा इंजीनियरों को व्यवसाय का अवसर मिले उसके लिए निजी फायर सेफ्टी अधिकारियों को कुशल तालीम देने का विचार अपनाया है। इसके लिए देश की श्रेष्ठ डिजास्टर मैनेजमेंट संस्थाओं में शुमार अपने राज्य की गुजरात इंस्टीट्यूट ऑफ डिजास्टर मैनेजमेंट (जीआईडीएम) को इस पाठ्यक्रम-तालीम और फायर सेफ्टी सर्टिफिकेट के संबंध में एक व्यापक प्रणाली विकसित करने की जवाबदारी सौंपी थी। रूपाणी ने कहा कि जीआईडीएम के महानिदेशक श्री पी.के. तनेजा और उनकी टीम ने फायर सेफ्टी प्रमाण पत्र मंजूरी, नवीनीकरण और प्रशिक्षित मानव संसाधन के लिए पारदर्शी, सरल और प्रभावशाली तरीके से एंड-टू-एंड सोल्युशन यानी शुरू से आखिर तक पूर्णरूपेण समाधान देने संबंधी एक रिपोर्ट राज्य सरकार को सौंपी है। राज्य सरकार ने भी इसके लिए मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में वरिष्ठ मंत्रियों, संबंधित अधिकारियों और फायर अधिकारियों की सिलसिलेवार बैठक बुलाकर और जीआईडीएम द्वारा भी दिल्ली, गोवा और केरल जैसे राज्यों तथा सिंगापुर और यूके जैसे देशों की प्रक्रियाओं और प्रणालियों का बारीकी से अध्ययन करने के बाद हम राज्य में यह नई व्यवस्था आगामी 26 जनवरी से शुरू करने जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि राज्य में जिन युवाओं को फायर सर्विस के क्षेत्र में करियर बनाने के इच्छुक होनहार फायर सेफ्टी अधिकारियों को गुजरात स्टेट इंस्टीट्यूट फॉर फायर सेफ्टी ट्रेनिंग के मार्फत दी जाने वाली गहन तालीम प्राप्त कर और योग्यता परीक्षा में उत्तीर्ण होने के बाद ही फायर सेफ्टी अधिकारी के तौर पर इम्पैनल्ड किया जाएगा। एक बार ऐसी तालीम लेने और फायर अधिकारी के रूप में इम्पैनल्ड होने के बाद हर तीन वर्ष में उन्हें रिफ्रेशर तालीम से भी गुजरना होगा और अपने कौशल व ज्ञान को अपग्रेड यानी उन्नयन करते रहना होगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में बिल्डिंग-मकानों की श्रेणियों के अनुसार इन फायर सेफ्टी अधिकारियों की तालीम का वर्गीकरण भी किया है। जनरल, एडवांस और स्पेशलिस्ट की कुल तीन श्रेणियों में उन्हें तालीम दी जाएगी। उन्होंने कहा कि जनरल श्रेणी में जिन्हें तालीम लेनी हो वैसे युवाओं के लिए किसी अनुभव की जरूरत नहीं होगी। वहीं, जिन युवा इंजीनियरों को फायर सेफ्टी अधिकारी के रूप में एडवांस तालीम लेनी है उनके लिए पांच वर्ष की और विशिष्ट या स्पेशलिस्ट तालीम लेने वाले के लिए पांस से दस वर्ष के अनुभव का मानदंड रखा गया है। ऐसे तालीमबद्ध युवा फायर सेफ्टी अधिकारियों को उनके ग्रेड, अनुभव और योग्यता के आधार पर जवाबदारी सौंपी जाएगी। एफएसओ जिन मकानों-इमारतों के फायर एनओसी का नवीनीकरण करेगा उसकी रेंडम यानी आकस्मिक जांच कर फायर अधिकारी यह सुनिश्चित करेगा कि प्रमाण पत्र जारी करने से पूर्व सभी सुरक्षा मानकों को ध्यान में लिया गया है या नहीं। यदि उसमें कहीं कोई चूक पाई जाती है तो सरकार फायर सेफ्टी अधिकारी के साथ ही ऑनर बिल्डर या कब्जेदार के खिलाफ जुर्माना-दण्डनीय कार्रवाई भी करेगी। रूपाणी ने कहा कि यह सरकार नागरिकों के जानमाल के साथ आग जैसी घटना के परिणाम स्वरूप होने वाले नुकसान को बर्दाश्त नहीं करेगी। मुख्यमंत्री विजय रूपाणी ने कहा कि यह समग्र पद्धति राज्य में वर्तमान फायर सेफ्टी रेगुलेशन और नॉर्म्स को और भी सुव्यवस्थित करे इस तरह अनुकूलता के साथ बनाई गई है। मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारे लिए जनता के जानमाल की सुरक्षा शीर्ष प्राथमिकता है और उस उद्देश्य से ये निर्णय पूरी संवेदना के साथ किए हैं।