नई दिल्ली। देश के चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) एनवी रमना ने सरकार द्वारा मेडिकल सेक्टर को प्राथमिकता नहीं देने पर चिंता जताई है। रमना ने कहा कि देश में मेडिकल प्रोफेशनल और इंफ्रास्ट्रक्चर की भारी किल्लत है लिहाज़ा इस पर तुरंत ध्यान देने की जरूरत है। साथ ही उन्होंने कहा कि किसी और की नाकामी के चलते डॉक्टरों पर ड्यूटी के दौरान हमले किए जा रहे हैं। सीजेआई ने ये बातें डॉक्टर्स डे पर डॉक्टरों को संबोधित करते हुए कही। इस अवसर पर उन्होंने डायबिटीज के खिलाफ एक कैंपेन को भी लॉन्च किया। सीजेआई ने कहा कि तंबाकू और पल्स पोलियो अभियान जैसे जागरूकता आंदोलन शुरू करने की आवश्यकता है और राज्य को बड़े पैमाने पर कदम उठाना होगा।
प्रधान न्यायाधीश एनवी रमना ने कहा, ‘ये बेहद दुखद है कि ड्यूटी के दौरान हमारे डॉक्टरों पर बेरहमी से हमला किया जा रहा है। ऐसा क्यों है कि मेडिकल प्रोफेशनल किसी और की नाकामी के लिए सज़ा पा रहे हैं। चिकित्सा पेशेवरों, बुनियादी ढांचे, दवाओं और पुरानी प्रौद्योगिकियों इन चीज़ों पर सरकार ध्यान नहीं दे रही है।’ उन्होंने आगे कहा कि चिकित्सा क्षेत्र को प्राथमिकता न देना तत्काल चिंता का विषय है। उन्होंने कहा कि लोग ईमानदारी से एक जुलाई को डॉक्टरों का अभिवादन तभी कर सकते हैं, जब संबंधित चिकित्सा निकाय और सरकारी एजेंसियां इन चिंताओं को दूर करने के लिए एकजुट हों।
न्यायमूर्ति एनवी रमना ने कहा कि ड्यूटी के दौरान डॉक्टरों पर हमला किया जाता है। उन्होंने कोरोना के दौरान डॉक्टरों के काम की जम कर तारीफ की। उन्होंने कहा, ‘इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के आंकड़े बताते हैं कि 798 से अधिक डॉक्टरों ने कोरोना की दूसरी लहर में अपनी जान गंवाई। मेरी प्रार्थना और सहानुभूति उन चिकित्सा पेशेवरों और स्वास्थ्य कर्मियों के परिवारों के लिए है, जिन्होंने कोरोना महामारी में अपनी जान गंवाई है। दुनिया अभी भी महामारी के विनाशकारी प्रभाव से जूझ रही है, डॉक्टर अथक और निस्वार्थ भाव से घातक महामारी के खिलाफ लड़ रहे हैं।’ भाषण में सीजेआई ने इस बात को लेकर भी अफसोस जताया कि डॉक्टर आठ से नौ साल की मेहनत और पढ़ाई के बाद भी अच्छा वेतन पाने के लिए संघर्ष करते हैं। साथ ही उन्होंने कहा कि डॉक्टर एक अच्छा अस्पताल खोलने में भी नाकाम रहते हैं।