मुम्बई। महान बल्लेबाज सचिन तेंदुलकर ने कहा है कि अपने करियर के दौरान उन्हें भी भारी तनाव का सामना करना पड़ा था। सचिन के अनुसार बाद में उन्हे समझ आया कि मैच के पहले वाला तनाव भी मैच की तैयारियों का ही एक अहम हिस्सा है।
सचिन ने यह बात कोरोना महामारी के कारण बायो-बबल (जैव सुरक्षा घेरे) रहने से खिलाड़ियों को होने वाले मानसिक तनाव को लेकर कही है। इस महान बल्लेबाज ने कहा कि मानसिक तनाव से निपटने क सबसे आसान रास्ता यह है कि हमें स्वीकार करने के साथ ही जरुरी भी मानना होगा। सचिन ने एक परिचर्चा में कहा, ‘समय के साथ मुझे लगा कि खेल के लिए शारीरिक रूप से तैयारी करने के साथ ही आपको मानसिक रूप से भी तैयार करना होगा। मेरे दिमाग में मैदान में प्रवेश करने से बहुत पहले मैच शुरू हो जाता था। इसलिए तनाव का स्तर बहुत अधिक रहता था।’
इस महान बल्लेबाज ने कहा, ‘मैंने 10-12 वर्षों तक तनाव महसूस किया था, मैच से पहले कई बार ऐसा हुआ था जब मैं पूरी रात सो नहीं पता था। बाद में मैंने यह स्वीकार करना शुरू कर दिया कि यह मेरी तैयारी का ही एक हिस्सा है। मैंने समय के साथ इस स्वीकार कर लिया कि मुझे रात में सोने में परेशानी होती थी। तब मैं अपने दिमाग को सहज रखने के लिए कुछ और करने लगता था.’
उन्होंने कहा ‘कुछ और’ में बल्लेबाजी अभ्यास, टेलीविजन देखना और वीडियो गेम्स खेलने के अलावा सुबह चाय बनाना भी शामिल था। मैं मैच से एक दिन पहले ही अपना बैग तैयार कर लेता था और यह एक आदत सी बन गयी थी। मैंने अपने आखिरी मैच में भी ऐसा ही किया था।’
सचिन ने कहा कि खिलाड़ी को मुश्किल समय का सामना करना ही पड़ता है, लेकिन यह जरूरी है कि वह बुरे समय को स्वीकार करें। उन्होंने कहा, ‘जब आप चोटिल होते हैं तो चिकित्सक या फिजियो आपका इलाज करते हैं जबकि मानसिक स्वास्थ्य के मामले में भी ऐसा ही है। किसी के लिए भी अच्छे-बुरे समय का सामना सामान्य बात है।’ उन्होंने कहा, ‘इसके लिए आपको चीजों को स्वीकार करना होगा. यह सिर्फ खिलाड़ियों के लिए नहीं है, बल्कि जो उसके साथ है उस पर भी लागू होती है। जब आप इसे स्वीकार करते हैं तो फिर इसका हल तलाशने ढूंढने की कोशिश करते हैं।’














