नई दिल्ली। संसद के मॉनसून सत्र में कांग्रेस नए नेतृत्व के साथ उतर सकती है। पार्टी के भीतर इस बात की अटकलें तेज हो गई हैं कि अधीर रंजन चौधरी की जगह लोकसभा में राहुल गांधी को कमान सौंपी जा सकती है। इस मुद्दे पर चर्चा के लिए कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी ने बुधवार को वरिष्ठ पार्टीजनों की अहम बैठक बुलाई है।
संसदीय रणनीति समूह की बैठक में सबकी नजरें राहुल गांधी पर रहेंगी। सवाल यह है कि क्या वह अपनी हिचक छोड़कर पार्टी के नेतृत्व का जिम्मा संभालने के लिए मानसिक रूप से तैयार हैं? बदलाव की यह सुगबुगाहट इस उम्मीद के साथ शुरू हुई है कि राहुल लोकसभा में पार्टी का नेतृत्व करेंगे। अब फैसला राहुल को करना है कि वह इस जिम्मेदारी को संभालेंगे या नहीं। कई नेता मानते हैं कि 2019 के लोकसभा चुनाव में हार के चलते अध्यक्ष पद से राहुल के इस्तीफे के बाद पार्टी में सामान्य स्थिति लाने के लिए ऐसा जरूरी है।
अगर राहुल लोकसभा में पार्टी का नेतृत्व करने से मना करते हैं तो फिर कांग्रेस को तय करना होगा कि चौधरी को हटाया जाए या नहीं। अगर उन्हें हटाने का फैसला होता है तो पंजाब के किसी नेता को जिम्मेदारी सौंपी जा सकती है। इस पद के संभावित उम्मीदवारों में सांसद मनीष तिवारी और रवनीत सिंह बिट्टू का भी नाम चल रहा है। इसके अलावा शशि थरूर, गौरव गोगोई और उत्तम रेड्डी के नामों की भी चर्चा है।
दोबारा अध्यक्ष पद संभालने से राहुल गांधी बार-बार इनकार करते रहे हैं। हालांकि कांग्रेस के ज्यादातर नेता चाहते हैं कि पार्टी की कमान गांधी परिवार के हाथ में ही रहे। कुछ वरिष्ठ नेताओं ने खुलकर कहा है कि संगठन में बड़े बदलावों की जरूरत है, ताकि कांग्रेस को पुर्नजीवित किया जा सके। कोरोना को वजह बताकर पार्टी तीन बार चुनाव टाल चुकी है। पिछले दिनों खबर थी कि पार्टी में बड़े बदलाव के लिए तीन फार्मूले तय किए गए हैं।
राहुल गांधी अभी भी परिवार से अलग किसी को अध्यक्ष बनाने की बात पर कायम हैं। अगर यह दबाव बना रहा तो राहुल खुद लोकसभा में विपक्ष के नेता बनने को तैयार हो सकते हैं। दूसरे फॉर्मूले के तहत सोनिया गांधी को ही 2024 तक पूर्णकालिक अध्यक्ष बनाने पर पार्टी आग्रह कर सकती है। तीसरे फार्मूले के तहत राहुल गांधी पर दोबारा पार्टी अध्यक्ष बनने का दबाव बनाया जा सकता है।