नई दिल्ली। केंद्र की मोदी सरकार के संभावित मंत्रिमंडल विस्तार के लिए राजग के भीतर सुगबुगाहट शुरू हो गई है। संभावित विस्तार में जदयू, अन्नाद्रमुक, अपना दल और लोजपा के नए धड़े को जगह मिल सकती है। इस फेरबदल से मौजूदा आधा दर्जन मंत्री भी प्रभावित हो सकते हैं, जिनके काम का कुछ का बोझ कम होगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दूसरे कार्यकाल के दो साल पूरे हो चुके हैं और अभी तक एक बार भी मंत्रिपरिषद का विस्तार नहीं हुआ है। कोरोना काल के चलते बीते एक साल से इस तरह की कवायद भी नहीं हो पाई थी, लेकिन अब सरकार के भीतर इसकी तैयारी शुरू हो गई है। दरअसल मोदी सरकार में राजग का प्रतिनिधित्व नाम मात्र का बचा है और सहयोगी दलों में मात्र रिपब्लिकन पार्टी के रामदास अठावले ही हैं। अठावले को भी राज्य मंत्री मिला हुआ है और कैबिनेट में पूरी तरह भाजपा का ही दबदबा है। आपको बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और सड़क, परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी सहित केंद्रीय मंत्रिपरिषद के अन्य सहयोगियों के साथ बैठक की। प्रधानमंत्री आवास पर हुई इस बैठक में भाजपा अध्यक्ष जे पी नड्डा भी मौजूद थे। सूत्रों ने यह जानकारी दी। सूत्रों के मुताबिक प्रधानमंत्री ने पिछले सप्ताह भी इस प्रकार की बैठकें की थीं। उन्होंने बताया कि इन बैठकों के जरिए प्रधानमंत्री विगम दो वर्षों में विभिन्न मंत्रालयों में हुए कामकाज का लेखा जोखा ले रहे हैं और कई मुद्दों पर चर्चा कर रहे हैं। संभावित विस्तार में भावी गणित को देखते हुए भाजपा अपने सहयोगी दलों को पहले से ज्यादा जगह दे सकती है। पूर्व में सरकार में शामिल होने से इंकार करता रहा जद यू अब इसमें हिस्सेदारी कर सकता है। इसके अलावा तमिलनाडु में सत्ता से बाहर होने के बाद अन्नाद्रमुक भी केंद्र में सरकार में शामिल होने की तैयारी में है। उत्तर प्रदेश के भावी चुनावों के समीकरणों को देखते हुए अपना दल को भी जगह दी जा सकती है। हाल के बड़े घटनाक्रम में लोक जनशक्ति पार्टी में हुई टूट का भी मंत्रिमंडल विस्तार पर असर दिख सकता है। बिहार चुनाव के समय राजग से अलग होकर खिलाफ लड़ी लोजपा में विभाजन हो गया है और उसके नेता चिराग पासवान अलग-थलग पड़ गए हैं। पार्टी के छह लोकसभा सांसदों में से पांच सांसदों ने अपना अलग ग्रुप बना लिया है। सूत्रों के अनुसार इस ग्रुप को केंद्रीय मंत्रिमंडल में जगह दी जा सकती है। चूंकि अगले वर्ष उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव है और भाजपा लोजपा के इस बड़े धड़े को अपने साथ में रखकर दलितों के बीच एक संदेश ही देना चाहती है।

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