भाजपा के वरिष्ठ नेता और कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने शुक्रवार को कहा कि न्यायपालिका, मीडिया और व्यक्तिगत स्वतंत्रता को लेकर प्रतिबद्धता मोदी सरकार के ‘मूल’ में है और उन्होंने दिल्ली उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के स्थानांतरण को लेकर हो रही आलोचना को खारिज करते हुए पार्टी के नेताओं द्वारा आपातकाल के खिलाफ लड़ाई लड़े जाने का उल्लेख किया। न्यायमूर्ति एस मुरलीधर के स्थानांतरण को लेकर कांग्रेस द्वारा सरकार पर किये जा रहे हमले के संदर्भ में पूछे जाने पर प्रसाद ने कांग्रेस पर पलटवार करते हुए कहा कि उसकी सरकार ने 1970 में उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीशों को नजरंदाज कर दिया था और इस कदम को न्यायिक स्वतंत्रता पर हमले के तौर पर देखा गया था।
मंत्री ने कहा कि मुरलीधर के स्थानांतरण का किसी भी मामले से कोई लेना-देना नहीं है क्योंकि इस बारे में उच्चतम न्यायालय के कॉलेजियम द्वारा पहले ही अनुशंसा की जा चुकी थी और न्यायधीश ने भी अपनी सहमति दे दी थी। प्रसाद ने संवाददाताओं से कहा, “यह (स्थानांतरण) प्रक्रिया का हिस्सा है। इसी प्रक्रिया से दर्जनों न्यायाधीशों का स्थानांतरण हुआ है।” कांग्रेस ने आरोप लगाया था कि दिल्ली हिंसा मामले में भाजपा नेताओं को बचाने के लिये सरकार ने मुरलीधर का स्थानांतरण किया क्योंकि वे हिंसा से जुड़े मामले की सुनवाई कर रहे थे। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और इस सरकार के कई वरिष्ठ पदाधिकारियों समेत वह खुद भी व्यक्तिगत, न्यायिक और मीडिया की आजादी के लिये आपातकाल के खिलाफ लड़े थे। उन्होंने कहा, “इन स्वतंत्रताओं को लेकर प्रतिबद्धता हमारे (सरकार के) मूल में है।”