नई दिल्ली। प्रयागराज में तीन दिन तक चले इलाज के बाद चिकित्सकों ने सोमवार दोपहर तीन बजे किशोर को मृत घोषित कर दिया। मंगलवार सुबह 10 बजे शव लेकर परिजन घर पहुंचे तो मौत के 19 घंटे बाद उसके शरीर में हरकत होने लगी। इसके बाद एक निजी अस्पताल में चार घंटे तक चले इलाज के बाद उसकी सांस फिर थम गई। पूरे दिन ये घटनाक्रम जिलेभर में चर्चा का विषय बना रहा। मानधाता के डिहवा गांव के कमलेश मौर्य (17) की तबीयत पखवारेभर से खराब चल रही थी। तीन दिन पहले परिजन उसे प्रयागराज ले गए और एक निजी अस्पताल में भर्ती करा दिया। सोमवार दोपहर तीन बजे चिकित्सक ने कमलेश को मृत घोषित कर दिया। अस्पताल का बिल चुकाने में देर होने के कारण रात में वहीं रुक गए। मंगलवार सुबह 10 बजे शव लेकर परिजन घर पहुंचे तो घर के लोग बिलखने लगे। इसी बीच अचानक कमलेश के शरीर में हरकत होने लगी। यह देख परिजन भी हैरानी में पड़ गए। आनन-फानन में परिजन उसे लेकर पीएचसी गए। चिकित्सक सुरेश कुमार ने नब्ज टटोलने के बाद उसे किसी ऐसे अस्पताल में ले जाने की सलाह दी जहां ऑक्सीजन की सुविधा मिल सके। इस पर परिजन फौरन कमलेश को इलाके के एक निजी अस्पताल में ले गए। वहां उसे भर्ती कर ऑक्सीजन लगाया गया। हालांकि चार घंटे तक सांस चलने के बाद दोपहर दो बजे उसकी सांस फिर थम गई। इस पर निराश परिजन उसका शव लेकर लौट गए।

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