भोपाल। मध्यप्रदेश के 2.20 लाख महिला स्व सहायता समूहों को पोषण आहार बनाने की जिम्मेदारी सौंपी जाना है, पर चार विभाग इस फैसले से सहमत नहीं हो पाए। जो सरकारी विभाग इससे असहमत है उनमें महिला एवं बाल विकास, ग्रामीण विकास, उद्यानिकी और वित्त विभाग शामिल है। यही वजह है कि ये प्रस्ताव पिछले 20 दिन से वित्त विभाग में पड़ा है। यदि विभाग सहमत होगा, तभी प्रस्ताव अंतिम निर्णय के लिए कैबिनेट में जाएगा। वहीं, समूहों की महिलाएं काम मिलने की आस लगाए बैठी हैं। मार्च 2020 में चौथी बार प्रदेश की सत्ता संभालते ही मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने घोषणा कर दी थी कि सरकारी पोषण आहार प्लांट महिला स्व सहायता समूह चलाएंगे। इस घोषणा को नौ माह हो गए हैं, पर समूहों को काम नहीं मिला। उन्हें प्लांट सौंपने की फाइल विभागों की पेंचीदगी में उलझकर रह गई हैं। सूत्र बताते हैं कि मुख्यमंत्री के इस फैसले पर सितंबर से मंथन चल रहा है।हर विभाग ने निर्णय लेने में औसत 20 दिन का समय लिया और अब वित्त विभाग मंथन कर रहा है। जानकार बताते हैं कि वित्त विभाग की सहमति मिलते ही फाइल अंतिम फैसले के लिए कैबिनेट को भेज दी जाएगी। ज्ञात हो कि विधानसभा उपचुनाव के चलते सरकार ने भी बीच में इस पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया, पर अब जब सब कुछ सामान्य होने लगा है, सरकार को फिर से याद आ गई। दो दिन पहले ही मुख्यमंत्री चौहान ने अपनी घोषणा को दोहराया है। वैसे तो समूहों ने लॉकडाउन के समय नए उत्पाद (मास्क, सैनेटाइजर, पीपीई किट) तैयार करके सामान्य से ज्यादा कमाई की है, पर संकमण के हालात सुधरते ही बड़ी कंपनियां यह बाजार हथिया रही हैं। इसलिए समूहों के पास सीमित काम बचा है। ऐसे में महिलाएं पोषण आहार उत्पादन का काम मिलने की आस लगाए बैठी हैं। उनका कहना है कि यह स्थाई काम है। यदि यह मिलता है, तो बार-बार काम बदलने की जरूरत नहीं पड़ेगी। सरकार ने पोषण आहार व्यवस्था को ठेकेदारों के चंगुल के मुक्त कराने के लिए धार, देवास, होशंगाबाद, रीवा, सागर, शिवपुरी और मंडला में प्लांट तैयार किए हैं। इनमें से तीन प्लांट धार, देवास और होशंगाबाद में वर्ष 2018 में उत्पादन शुरू हो गया था। इसके लिए महिलाओं को प्रशिक्षित किया था, पर वर्ष 2019 में कमल नाथ सरकार ने यह काम एमपी एग्रो को सौंप दिया। अब फिर से प्लांट मिलने हैं। ऐसे में मप्र राज्य आजीविका मिशन पिछली बार काम कर चुकी महिलाओं को फिर से प्रशिक्षण देने की तैयारी कर रहा है। इस बारे में मप्र राज्य आजीविका मिशन के प्रबंध संचालक एमएल बेलवाल का कहना है कि प्लांट जल्द ही मिल जाएंगे। पिछली बार जिन महिलाओं ने सफलतापूर्वक प्लांट चलाए हैं। उन्हें एक बार फिर प्रशिक्षण करेंगे। ताकि वे सफलतापूर्वक काम कर सकें। डेढ़ साल से ज्यादा समय हो गया है। इसमें बहुत कुछ रि-फ्रेश करने की जरूरत है।
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