नई दिल्ली। दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति ने अपशिष्ट जल के निपटान के मानकों का लगातार पालन न करने के लिए राष्ट्रीय राजधानी में चल रहे 12 कॉमन एफ्लूएंट ट्रीटमेंट प्लांट (सीईटीपी) पर 12 करोड़ रुपये से अधिक का जुर्माना लगाया है। दिल्‍ली में 24 औद्योगिक इलाके हैं जिनमें से 17 इलाके 12 सीईटीपीएस से जुड़े हैं जो औद्योगिक ईकाइयों से निकलने वाले अपशिष्ट जल को पुन: इस्तेमाल करने या उसे यमुना नदी में बहाने से पहले उसका शोधन करते हैं। विशेषज्ञों के अनुसार, बिना शोधन वाला अपशिष्ट जल और सीईटीपी से निकलने वाले गंदे पानी की खराब गुणवत्ता तथा सीवेज जल शोधन संयंत्र दिल्ली में यमुना नदी में प्रदूषण की मुख्य वजह है। जबकि ये 12 सीईटीपी झिलमिल, बादली, मायापुरी, मंगोलपुरी, नांगलोई, ओखला, नरेला, बवाना, नारायणा, जीटीके रोड और केशव पुरम में औद्योगिक इलाकों में हैं।
डीपीसीसी ने झिलमिल, बादली, मायापुरी, मंगोलपुरी, नांगलोई, ओखला, नरेला, बवाना, नारायणा, जीटीके रोड और केशव पुरम की सीईटीपी को कई नोटिस जारी कर उनसे अपशिष्ट जल के निपटान के मानकों पर खरा उतरने के लिए सुधारात्मक उपाय उठाने के लिए कहा था। डीपीसीसी के अनुसार, ये सीईटीपी फरवरी 2019 से इस साल फरवरी के बीच बार-बार मानकों पर खरा उतरने में नाकाम रहीं है, इस वजह से इन एक-एक करोड़ का जुर्माना लगाया गया है। यही नहीं, डीपीसीसी ने राजधानी की 1068 औद्योगिक इकाइयों को तत्काल प्रभाव से सील करने का आदेश देने के साथ इनका बिजली-पानी काटने का निर्देश जारी किया है। जबकि संबंधित क्षेत्र के एसडीएम इन इकाइयों की सीलिंग सुनिश्चित करेंगे। वहीं, आदेश का पालन न होने पर जल (प्रदूषण की रोकथाम एवं नियंत्रण) अधिनियम 1974 के तहत कार्रवाई की जाएगी। वहीं, डीपीसीसी की टीम ने फरवरी 2019 से फरवरी 2020 के दौरान जब लगातार दो साल तक इन सभी सीईटीपी संयंत्रों से शोषित जल के नमूने उठाए तो वे सभी लेबोरेट्री में फेल हो गए, लेकिन उसके बाद औद्योगिक इकाइयां ने कोई ठोस कदम नहीं उठाया।

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