नई दिल्ली। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) नई दिल्ली द्वारा किए गए एक अध्ययन में पाया गया कि कोरोना से मरने वालों की तुलना में 65 से अधिक उम्र की तुलना में 50 से कम उम्र वाले अधिक लोग शामिल हैं। यह अध्ययन इंडियन जर्नल ऑफ क्रिटिकल केयर मेडिसिन में प्रकाशित किया गया है। यह अध्ययन एम्स के निदेशक डॉ. रणदीप गुलेरिया, एम्स ट्रॉमा सेंटर के प्रमुख डॉ. राजेश माल्थोत्रा ​​और कई अन्य लोगों द्वारा लिखी गई है। इनमें वो मरीजों को शामिल किया गया है जो चार अप्रैल से लेकर 24 जुलाई, 2020 तक के थे। यह अध्ययन भारत के विभिन्न कोविड केंद्रों में होने वाली मौतों की दर को जानने के लिए किया गया था। इस अवधि के दौरान करीब 654 बड़े उम्र के रोगियों को आईसीयू में भर्ती कराया गया था। इसमें से 247 की मौत हो गई और करीब 37.7 फीसदी लोगों को रिकवर कर लिया गया। अध्ययन को और सुचारु रूप से बनाने के लिए रोगियों को कई भागों में बांटा गया। जैसे 18 से 50, 51 से 60 और 65 से ऊपर वालों को। इसमें ज्यादातर लोगों को उच्च रक्तचाप, मधुमेह मेलिटस और क्रोनिक किडनी रोग के साथ-साथ बुखार खांसी और सांस की तकलीफ सबसे आम पेश करने वाली विशेषताएं थीं। आईसीयू में मरने वालों का डाटा एकत्रित कर लिया गया है। दूसरे देशों जैसे यूएस, स्पेन, इटली में भी मरने वालों की तादाद ऐसे ही है।

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