नई दिल्ली। देश के सबसे राज्य उत्तर प्रदेश में जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनावों में भाजपा को शानदार विजय हासिल की है। भाजपा ने 75 में से 65 सीटों पर जीत का परचम लहराया है। भाजपा की इस जीत ने समाजवादी पार्टी और कांग्रेस के लिए खतरे की घंटी बजा दी है। दरअसल इन दोनों दलों को अपने-अपने गढ़ में भी करारी हाल झेलनी पड़ी है। कांग्रेस को सोनिया गांधी के गढ़ रायबरेली में हार का सामना करना पड़ा। सोनिया यहां से सांसद हैं। उधर मुलायम सिंह यादव का मैनपुरी का किला भी ध्वस्त हो गया। मुलायम यहां से सांसद हैं।
ज्ञात हो कि इससे पहले मैनपुरी में समाजवादी पार्टी को पिछले तीन दशकों में कभी भी हार का सामना नहीं करना पड़ा था। जबकि भाजपा को जिला पंचायत अध्यक्ष चुनाव के इतिहास में पहली बार जीत हासिल हुई है। इससे पहले साल 2016 में सपा को यहां से जीत मिली थी। इसके अलावा पिछली बार रायबरेली में कांग्रेस को जीत मिली थी। रायबरेली से कांग्रेस प्रत्याशी आरती सिंह इस बार भाजपा की रंजना चौधरी से हार गईं। समाजवादी पार्टी ने रायबरेली में अपना उम्मीदवार नहीं उतारा था।
अमेठी में कांग्रेस ने चुनाव नहीं लड़ा, लेकिन सपा उम्मीदवार भाजपा के राजेश अग्रहीर से भारी अंतर से हार गए। रायबरेली की हार कांग्रेस को काफी चुभेगी। दरअसल उनके पूर्व नेताओं ने रायबरेली से पार्टी की हार सुनिश्चित करने के लिए काम किया था। 2019 के लोकसभा चुनाव में सोनिया गांधी के खिलाफ भाजपा से चुनाव लड़ने वाले कांग्रेस के पूर्व एमएलसी दिनेश सिंह ने पार्टी को हराने के लिए पूरी ताकत झौंक दी थी। उनके भाई अवधेश सिंह ने 2016 में जिला पंचायत अध्यक्ष के रूप में कांग्रेस के लिए जीत प्राप्त की थी।
सपा के लिए भी ये खतरे की घंटी है। दरअसल पार्टी को मैनपुरी, कन्नौज और फिरोजाबाद जैसे अपने गढ़ में भी पराजय का मुंह देखना पड़ा। सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव की संसदीय सीट मैनपुरी में जिला पंचायत अध्यक्ष के रूप में भाजपा की अर्चना भदौरिया की जीत पार्टी के लिए एक झटका थी। सपा ने संभल, मुरादाबाद और रामपुर जैसे तीन अन्य जिलों में जिला पंचायत अध्यक्ष पदों को भी खो दिया, जहां उसके मौजूदा सांसद हैं। सपा ने इन चुनावों में पराजय के लिए सत्ताधारी भाजपा सरकार द्वारा इस्तेमाल की गई गैरकानूनी रणनीति को ठहराया है।
साल 2016 में जब सपा सत्ता में थी, उसने इन चुनावों में 75 में से 63 सीटें जीती थीं। जबकि भाजपा और उसके सहयोगियों ने अब पसा पलट दिया है। पार्टी को 67 सीटों पर जीत मिली। 2016 में भाजपा और बसपा ने इसी तरह सपा सरकार पर मनमानी और आधिकारिक सत्ता के दुरुपयोग का आरोप लगाया था। भाजपा उस समय प्रधानमंत्री के निर्वाचन क्षेत्र वाराणसी से भी पराजित हो गई थी।

Previous articleसांप्रदायिकता फैलाने के आरोप में ट्विटर इंडिया और उसके एमडी के खिलाफ शिकायत दर्ज
Next articleकोविड से उबरे लोगों को टीके की 1 खुराक ही डेल्टा वेरिएंट से दिलाएंगी सुरक्षा : आईसीएमआर

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here