नई दिल्ली। रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने आज 8वीं आसियान रक्षा मंत्रियों की बैठक (एडीएमएम) प्लस को संबोधित करते हुए राष्ट्रों की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता के सम्मान के आधार पर हिंद-प्रशांत क्षेत्र में एक खुली और समावेशी व्यवस्था का आह्वान किया। एडीएमएम प्लस 10 आसियान (दक्षिण पूर्व एशियाई देशों के संघ) देशों और उसके आठ वार्ता सहयोगियों – ऑस्ट्रेलिया, चीन, भारत, जापान, न्यूजीलैंड, कोरिया गणराज्य, रूस और अमेरिका के रक्षा मंत्रियों की वार्षिक बैठक है। ब्रुनेई इस वर्ष एडीएमएम प्लस फोरम की अध्यक्षता कर रहा है। राजनाथ सिंह ने बातचीत के जरिए विवादों के शांतिपूर्ण समाधान और अंतरराष्ट्रीय नियमों और कानूनों का पालन करने पर भी जोर दिया। उन्होंने कहा कि “भारत ने क्षेत्र में शांति, स्थिरता और समृद्धि के प्रचार के लिए बदलते दृष्टिकोणों और मूल्यों के आधार पर हिंद-प्रशांत में सहयोगी भागीदारी मजबूत की है। आसियान की केंद्रीयता के आधार पर भारत ने हिंद-प्रशांत के लिए हमारे साझा दृष्टिकोण के क्रियान्वयन के वास्ते महत्वपूर्ण मंच के तौर पर आसियान के नेतृत्व वाले तंत्रों के इस्तेमाल का समर्थन किया है।
क्षेत्रीय और अंतर्राष्ट्रीय सुरक्षा माहौल पर विषयगत विचार-विमर्श के दौरान राजनाथ सिंह ने आसियान देशों के रक्षा मंत्रियों और आठ संवाद साझेदार देशों के समक्ष भारत के विचार रखे। उन्होंने कहा कि अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा के लिए उभरती चुनौतियों का समाधान अतीत में पैदा होने वाली स्थितियों से निपटने के लिए तैयार की गई पुरानी प्रणालियों से नहीं किया जा सकता। रक्षामंत्री ने संयुक्त राष्ट्र कन्वेंशन ऑन द लॉ ऑफ द सी (यूएनसीएलओएस) के अनुसार अंतरराष्ट्रीय जल क्षेत्र में सभी के लिए नौवहन की स्वतंत्रता, समुद्री क्षेत्र में उड़ान और बेरोकटोक व्यापार की आजादी सुनिश्चित करने की जरूरत पर जोर दिया। समुद्री सुरक्षा संबंधी चुनौतियां भारत के लिए चिंता का विषय हैं। उन्होंने जोर देकर कहा कि हिंद-प्रशांत क्षेत्र की शांति, स्थिरता, समृद्धि और विकास के लिए संचार के समुद्री क्षेत्र महत्वपूर्ण हैं। रक्षामंत्री ने आशा व्यक्त की है कि कोड ऑफ कंडक्ट वार्ता से अंतर्राष्ट्रीय कानून को ध्यान में रखते हुए परिणाम सामने आएंगे और उन राष्ट्रों के वैध अधिकारों और हितों पर प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ेगा जो इन चर्चाओं के पक्षधर नहीं हैं। नवंबर 2014 में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा घोषित ‘एक्ट ईस्ट पॉलिसी’ पर श्री राजनाथ सिंह ने कहा कि इस नीति के प्रमुख तत्वों का उद्देश्य आर्थिक सहयोग, सांस्कृतिक संबंधों को बढ़ावा देना और द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और बहुपक्षीय स्तरों पर निरंतर जुड़ाव के माध्यम से हिंद-प्रशांत क्षेत्र के देशों के साथ रणनीतिक संबंध विकसित करना है।