नई दिल्ली। प्रधानमंत्री के ‘आत्मनिर्भर भारत’ अभियान को सफल बनाने के लिए पूरे देश ने कमर कस ली है। तमाम क्षेत्रों के साथ अब रक्षा मंत्रालय ने ‘आत्मनिर्भर भारत’ अभियान को बड़ा बूस्ट देने की तैयारी कर ली है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने रविवार सुबह कहा कि मंत्रालय ने 101 आइटम्स की लिस्ट तैयार की है जिनके आयात पर रोक लगेगी। इस लिस्ट में सामान्य पार्ट्स के अलावा कुछ हाई टेक्नोलॉजी वेपन सिस्टम भी शामिल हैं। एक निगेटिव आर्म्स लिस्ट तैयार हुई है जिसके तहत कुछ वेपन सिस्टम्स और प्लैटफॉर्म्स के आयात पर बैन लगाया जाएगा ताकि घरेलू उत्पादन बढ़ाया जा सके। यह लिस्ट सेना की जरूरत के हिसाब से समय-समय पर अपडेट की जाती रहेगी। सिंह के मुताबिक, यह रक्षा क्षेत्र में भारत की आत्मनिर्भरता की दिशा में एक बड़ा कदम है। उन्होंने कहा कि यह फैसला प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आह्मन के बाद किया गया है। इस फैसले से भारत की डिफेंस इंडस्ट्री को बड़े पैमाने पर उत्पादन का मौका मिलेगा।
रक्षा क्षेत्र में घरेलू उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए मंत्रालय ने जो लिस्ट बनाई है वह सेना, पब्लिक और प्राइवेट इंडस्ट्री से चर्चा के बाद तैयार की गई है। सिंह ने कहा, “इन 101 वस्तुओं में सिर्फ आसान वस्तुएं ही शामिल नहीं हैं बल्कि कुछ उच्च तकनीक वाले हथियार सिस्टम भी हैं जैसे आर्टिलरी गन, असॉल्ट राइफलें, ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट, एलसीएचएस, रडार और कई अन्य आइटम हैं जो हमारी रक्षा सेवाओं की जरूरतों को पूरा करने के लिए हैं।” राजनाथ सिंह के मुताबिक, ऐसे उत्पादों की करीब 260 योजनाओं के लिए तीनों सेनाओं ने अप्रैल 2015 से अगस्त 2020 के बीच लगभग साढ़े तीन लाख करोड़ रुपये के कॉन्ट्रैक्ट्स दिए थे। उनका अनुमान है कि अगले 6 से 7 साल में घरेलू इंडस्ट्री को करीब 4 लाख करोड़ रुपये के ठेके दिए जाएंगे। रक्षा मंत्री ने कहा कि सभी स्टेकहोल्डर्स से बातचीत के बाद और उत्पादों (उपकरणों) के आयात पर रोक लगाई जाएगी। फिलहाल जो फैसले किए गए हैं, वे 2020 से 2024 के बीच लागू किए जाएंगे। 101 उत्पादों की लिस्ट में आर्मर्ड फाइटिंग व्हीकल्स (एएफवीएस) भी शामिल हैं। मंत्रालय ने 2020-21 के लिए पूंजी खरीद बजट को घरेलू और विदेशी रूट में बांट दिया है। वर्तमान वित्त वर्ष में ही करीब 52,000 करोड़ रुपये का अलग बजट तैयार किया गया है।
रक्षा मंत्रालय ने यह फैसला ऐसे वक्त में किया है जब पूर्वी लद्दाख में लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल पर तनाव बरकरार है। कुछ फ्रिक्शन पॉइंट्स से चीनी सेना पीछे हटी है मगर देपसांग और पैंगोंग त्सो में टस से मस होने को तैयार नहीं। दोनों देशों के बीच कोर कमांडर स्तर पर कई दौर की बातचीत बेनतीजा रहने के बाद, शनिवार को मेजर-जनरल स्तर की बातचीत शुरू हुई है। भारत ने साफ कहा कि देपसांग से चीन को अपने सैनिक वापस बुलाने होंगे। केंद्र सरकार की तरफ से बॉर्डर पर सेना को ‘फ्री-हैंड’ मिला हुआ है। रक्षा मंत्री भी कह चुके हैं कि सेना किसी भी स्थिति से निपटने के लिए तैयार रहे। फिलहाल सीमा पर भारत और चीन, दोनों के ही हजारों सैनिक भारी गोला-बारूद के साथ तैनात हैं। तनाव कम करने के लिए दोनों देशों के बीच, मिलिट्री और डिप्लोमेटिक, दोनों चैनल्स के जरिए बातचीत हो रही है।