राजस्थान की राजनीति में 10 महीने बाद फिर से उठे बगावत के सुरों के बीच बयानबाजी तेज हो गई है। कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव भंवर जितेन्द्र सिंह, सचिन पायलट के समर्थन में आ गए हैं। उन्होंने कहा है कि पार्टी हाईकमान ने पायलट से जो वादे किए थे वो पूरे करने चाहिए, ताकि पायलट अपने कार्यकर्ताओं को संतुष्ट कर सकें। बता दें कि भंवर जितेंद्र सिंह असम में कांग्रेस के प्रभारी हैं और मनमोहन सिंह के कार्यकाल में केंद्रीय मंत्री भी रह चुके हैं। दरअसल पिछले साल अगस्त में सचिन पायलट के नेतृत्व में राजस्थान के कई कांग्रेस विधायकों ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के खिलाफ बगावत कर दी थी। उस वक्त दोनों गुटों के नेता कई दिनों तक होटल में बाड़ेबंदी में रहे थे।

-पंजाब में बिसात
भारतीय जनता पार्टी से गठबंधन टूटने के बाद शिरोमणि अकाली दल (शिअद) अब बसपा के साथ मिलकर 2022 का विधानसभा चुनाव लडऩे की तैयारी में है। दो महीने में कई मैराथन बैठकों के बाद गठजोड़ को अंतिम रूप दे दिया गया हैं। हालांकि, अभी औपचारिक घोषणा नहीं की है। माना जा रहा है कि दोनों दलों में अभी सीटों को लेकर अंतिम फैसला नहीं हुआ है। इस बार सभी पार्टियों की 33 फीसदी दलित वोट बैंक पर विशेष नजर है। इसीलिए सभी पार्टियां दलित नेताओं को पक्ष में करने में जुटी हैं।

-पाक पर तलवार
मनी लॉन्ड्रिंग पर एशिया प्रशांत समूह (एपीजी) ने बकाया जरूरतों के लिए पाकिस्तान को फॉलोअप स्थिति में बनाए रखा है। इससे इमरान सरकार चिंतित है। बता दें कि जून 2018 में पेरिस स्थित फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) ने पाकिस्तान को ग्रे सूची में डाल दिया गया था और तभी से यह देश इससे बाहर आने के लिए संघर्ष कर रहा है। एपीजी इसी एफएटीएफ का एक क्षेत्रीय सहयोगी है। एपीजी द्वारा जारी पाकिस्तान के पारस्परिक मूल्यांकन पर दूसरी अनुवर्ती रिपोर्ट ने भी इन्हीं मानदंडों पर पाक का दर्जा घटाया है। रिपोर्ट के मुताबिक, पाक का 5 मामलों में अनुपालन की स्थिति में, 15 अन्य में बड़े पैमाने व आंशिक स्तर पर अनुपालन करने के लिए फिर से मूल्यांकन किया गया था।

-दूषित हो रहा जल
अमेरिका के शोधकर्ताओं ने दावा किया है कि भारत के भूजल में हानिकारक यूरेनियम की मात्रा विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा तय किए गए मानकों से कहीं अधिक है। यह स्थिति चिंतित करने वाली इसलिए भी है क्योंकि विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी भारत के लिए प्रति लीटर पेयजल में 30 माइक्रोग्राम यूरेनियम की मात्रा को सुरक्षित माना है। विज्ञान पत्रिका नेचर जियोसाइंस की भी मानें तो सिंधु और गंगा नदी के मैदानी क्षेत्र का तकरीबन 60 फीसद भूजल दूषित हो चुका है। आंकड़ों में कहा गया है कि 200 मीटर की गहराई पर मौजूद भूजल का बड़ा हिस्सा दूषित हो चुका है वहीं 23 फीसद भूजल अत्यधिक खारा है। 37 फीसद भूजल में आर्सेनिक की मात्रा खतरनाक स्तर तक पहुंच गई है।

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