जयपुर। राजस्थान में अशोक गहलोत के नेतृत्व वाले मंत्रिमंडल का जल्दी ही विस्तार किया जा सकता है। सूत्रों के अनुसार राज्य मंत्रिमंडल में फेरबदल का फैसला कांग्रेस आलाकमान की इच्छा से किया जाएगा। सूत्रों ने बताया कि बहुप्रतीक्षित राज्य मंत्रिमंडल का विस्तार अगले कुछ दिनों में हो सकता है।
कांग्रेस आलाकमान का संदेश लेकर शनिवार रात जयपुर पहुंचे पार्टी के संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल और प्रदेश प्रभारी अजय माकन ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के साथ लंबी चर्चा की। लगभग ढाई घंटे तक चली बैठक में मत्रिमंडल विस्तार और फेरबदल तथा राजनीतिक नियुक्तियों को लेकर विचार विमर्श किया गया।
पार्टी सूत्रों ने बताया कि चर्चा के बाद इन नेताओं ने मंत्रिमंडल विस्तार का फैसला पार्टी आलाकमान पर छोड़ने का निर्णय लिया। सूत्रों ने कहा इन नेताओं की चर्चा के बाद मंत्रिमंडल में बदलाव या विस्तार के बारे में फैसला पार्टी आलाकमान पर छोड़ दिया गया है। इसके साथ ही यह भी फैसला किया गया कि विभिन्न बोर्डों तथा निगमों में राजनीतिक नियुक्तियां जल्द की जानी चाहिए। यह काम चुने हुए जनप्रतिनिधियों, पार्टी के राज्य पदाधिकारियों और वरिष्ठ नेताओं से सलाह लेने के बाद किया जाएगा।
बैठक में यह भी फैसला किया गया कि अखिल भारतीय कांग्रेस समिति की चुनावी घोषणा पत्र समिति, राजस्थान में पार्टी के घोषणा पत्र के कार्यान्वयन की समीक्षा करेगी। समिति के अध्यक्ष इसके लिए इसी महीने राजस्थान आएंगे। सूत्रों का कहना है कि सबकुछ ठीक रहा तो अगले सप्ताह अशोक गहलोत मंत्रिमंडल में फेरबदल हो सकता है तथा हजारों की संख्या में राजनीतिक नियुक्तियों की प्रक्रिया भी शुरू हो सकती हैं।
मौजूदा हिसाब से राज्य में नौ और मंत्री बनाए जा सकते है जबकि जिला स्तर पर विभिन्न निगमों व बोर्डों में लगभग 30 हजार राजनीतिक नियुक्तियां होनी हैं। सचिन पायलट खेमा लंबे समय से इसकी मांग कर रहा है। पार्टी प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने स्पष्ट किया है कि विधायक दल की कोई बैठक नहीं रखी गई है। वेणुगोपाल और माकन की पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट के साथ बैठक के कार्यक्रम की अभी कोई जानकारी नहीं मिली है।
सूत्रों के अनुसार पंजाब में सिद्धू-अमरिंदर विवाद के समाधान के बाद अब पार्टी आलाकमान का पूरा ध्यान राजस्थान पर है और आलाकमान राजस्थान के सियासी मसले का समाधान जुलाई में ही करना चाहता है। मौजूदा अशोक गहलोत सरकार दिसंबर 2018 में राज्य की सत्ता में आई थी और लगभग आधा कार्यकाल पूरा कर चुकी है।

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