अहमदाबाद| गुजरात की सर्वग्राही विकास यात्रा और उत्तम से सर्वोत्तम गुजरात के निर्माण के और एक योजनाबद्ध कदम के रूप में लॉजिस्टिक्स और लॉजिस्टिक्स पार्क की पहली एकीकृत नीति को सैद्धांतिक मंजूरी दी गई है। मुख्यमंत्री विजय रूपाणी की अध्यक्षता में हुई गुजरात इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट बोर्ड (जीआईडीबी) की 38वीं बोर्ड बैठक में मुख्यमंत्री ने इस नवीनतम नीति को सैद्धांतिक मंजूरी प्रदान की है। गुजरात की इस एकीकृत लॉजिस्टिक्स एंड लॉजिस्टिक्स पार्क पॉलिसी-2021 के अंतर्गत राज्य में लॉजिस्टिक्स की संपूर्ण वैल्यू चेन को कवर करते हुए औद्योगिक क्षेत्र में प्रतिस्पर्धा को बढ़ाने के साथ ही युवाओं को बड़े पैमाने पर रोजगार अवसर उपलब्ध कराने का विकासोन्मुख दृष्टिकोण केंद्र में रखा गया है। इतना ही नहीं, इस नीति में लॉजिस्टिक्स पार्क्स, वेयरहाउसिंग, कोल्ड स्टोरेज, एयर फ्रेट स्टेशन्स, जेटी और बंदरगाहों आदि को प्रस्तावित सपोर्ट देने की मंशा भी है। मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में गुरुवार को हुई इस बैठक में शिक्षा मंत्री भूपेन्द्रसिंह चूड़ास्मा, राजस्व मंत्री कौशिकभाई पटेल, गृह राज्य मंत्री प्रदीपसिंह जाडेजा, मुख्य सचिव अनिल मुकीम, मुख्यमंत्री के मुख्य प्रधान सचिव के. कैलाशनाथन, अतिरिक्त मुख्य सचिव पंकज कुमार, मुकेश पुरी, मनोज कुमार दास, अरुण सोलंकी तथा संबंधित विभागों के प्रधान सचिव एवं सचिव शामिल थे। मुख्यमंत्री के सचिव और जीआईडीबी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी श्री अश्विनी कुमार ने इस नीति के संबंध में विस्तृत प्रेजेंटेशन बैठक में प्रस्तुत किया।
मुख्यमंत्री विजय रूपाणी ने दो दिन पहले ही राज्य की ई-व्हीकल पॉलिसी घोषित कर गुजरात को पर्यावरण प्रिय परिवहन के क्षेत्र में अग्रणी बनाने की दिशा चुनी है। अब, आज इस एकीकृत लॉजिस्टिक्स और लॉजिस्टिक्स पार्क नीति-2021 को उन्होंने जीआईडीबी की बैठक में सैद्धांतिक मंजूरी दी है। गुजरात की यह नीति देश की प्रस्तावित राष्ट्रीय लॉजिस्टिक्स नीति के अनुकूल बनाई गई है। इस राष्ट्रीय नीति के मसौदे में देश की आर्थिक और वाणिज्यिक गतिविधियों में प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देकर एकीकृत, सरल, प्रभावी, मानक और किफायती लॉजिस्टिक्स नेटवर्क में टेक्नोलॉजी का उपयोग तथा नवाचार और कौशल वृद्धि के लाभ हासिल करने का उद्देश्य रखा गया है। इसी उद्देश्य से गुजरात की यह एकीकृत लॉजिस्टिक्स एंड लॉजिस्टिक्स पार्क नीति-2021 बनाई गई है। पिछले एक वर्ष में कोरोना महामारी की स्थिति में ग्लोबल सप्लाई चेन में महत्वपूर्ण बदलाव आया है और कई कंपनियां भारत में अपना कारोबार-संचालन शुरू कर रही हैं। इसके चलते गुजरात में विशेषकर मैन्यूफेक्चरिंग सेक्टर में निवेश में वृद्धि हुई है, ऐसे समय में यह नीति समयानुकूल कही जा सकती है। इस नीति का लक्ष्य लॉजिस्टिक्स के विशाल एकीकृत ढांचे के साथ राज्य में अधिकाधिक संभावित निवेशों को आकर्षित कर व्यापार-धंधे और रोजगार में वृद्धि करना है। मुख्यमंत्री विजय रूपाणी द्वारा सैद्धांतिक मंजूरी प्राप्त इस एकीकृत लॉजिस्टिक्स एंड लॉजिस्टिक्स पार्क्स नीति में अनेक प्रस्तावित प्रोत्साहन और विशेष प्रावधानों का भी समावेश किया गया है। यही नहीं, कार्गो गतिविधियों के विश्लेषण का गहराई से अध्ययन, राष्ट्रीय लॉजिस्टिक्स नीति के मसौदे की समीक्षा, अन्य राज्यों की इसी तरह की नीतियों का अभ्यास तथा राज्य सरकार और निजी हितधारकों के साछ विचार-विमर्श कर इस नीति के उद्देश्यों को अंतिम स्वरूप दिया गया है। राज्य के लॉजिस्टिक नेटवर्क को और ज्यादा असरदार बनाकर निजी क्षेत्रों की भागीदारी को बढ़ावा देने के लिए इस नीति में प्रस्तावित प्रोत्साहन और सपोर्ट मैकेनिजम की व्यवस्था की गई है। जिसके अनुसार राज्य में नई जेटी के लॉजिस्टिक सुविधा और विकास तथा मैकेनिजम के लिए 25 फीसदी कैपिटल सब्सिडी पात्र स्थायी पूंजी निवेश पर अधिकतम 15 करोड़ रुपए की सीमा में देने, मिलने योग्य ऋण पर सात वर्षों के लिए 7 फीसदी इंटरेस्ट सब्सिडी भी देने और वार्षिक अधिकतम 50 लाख रुपए की सीमा तक विस्तार कर सकने जैसे प्रस्तावित प्रावधान इस नीति में हैं। नीति में यह प्रावधान प्रस्तावित है कि पूंजीगत व्यय को कम करने के लिए राज्य सरकार सौ फीसदी स्टांप ड्यूटी की प्रतिपूर्ति देगी। राज्य में इंफ्रास्ट्रक्चर विकास के क्षेत्र में इस नीति के जरिए दिए जा रहे विशेष जोर के रूप में कुशल मानवबल की भी जरूरत को ध्यान में रखा गया है। इस उद्देश्य से नीति में राज्य के युवाओं के रोजगार सृजन के लिए कौशल वृद्धि (क्षमता वर्धन) पर फोकस किया गया है। प्रस्तावित प्रावधानों के अनुसार 120 घंटे से अधिक के प्रशिक्षण के लिए प्रति प्रशिक्षु 15 हजार रुपए प्रतिपूर्ति दी जाएगी। महिला प्रशिक्षु प्रशिक्षण प्राप्त कर इन नवीन क्षेत्र में भागीदारी करें ऐसे उदार भाव से महिलाओं के प्रशिक्षण शुल्क की सौ फीसदी प्रतिपूर्ति दी जाएगी। इसके अलावा, इस नीति की रूपरेखा के तहत क्वालिटी सर्टिफिकेशन, पेटेंट और अनुसंधान और विकास (आरएंडडी) के लिए भी प्रस्तावित सहायता दी जाएगी। इस नीति का एक अन्य विशेष पहलू यह है कि यह नीति लॉजिस्टिक्स सेवाओं की गुणवत्ता को बढ़ाने और टेक्नोलॉजी पर जोर देती है। इसमें निजी कंपनियों को समग्र वैल्यू चेन यानी मूल्य श्रृंखला में उनकी दक्षता और दृश्यता बढ़ाने के लिए विघटनकारी प्रौद्योगिकी को अपनाने के लिए विशेष सहयोग का प्रावधान रखा गया है। इसमें कार्गो इंप्रूव्ड ट्रैकिंग का भी समावेश होता है। उससे सेवा की गुणवत्ता में सुधार होगा और एंड यूजर यानी कि अंतिम उपभोक्ता को काफी फायदा होगा। नीति में प्रस्तावित प्रावधान लॉजिस्टिक नेटवर्क की ज्यादा कार्यक्षमता के कारण अंतिम उपभोक्ताओं के समग्र खर्च में भी बहुत कमी लाएंगे। उल्लेखनीय है कि केंद्रीय वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय की ओर से वर्ष 2018 और 2019 में घोषित किए गए ‘लॉजिस्टिक्स ईज एक्रॉस डिफरेंट स्टेट्स इंडेक्स’ (लीड्स) में गुजरात में पहला स्थान हासिल किया था। यह इंडेक्स पूरे राज्य में लॉजिस्टिक्स मामलों के प्रदर्शन का एक मानदंड स्थापित करता है। लीड्स-2019 में मूल्यांकन के जो विभिन्न परिमाण थे उसमें लॉजिस्टिक्स इंफ्रास्ट्रक्चर की उपलब्धता, ट्रेकिंग और ट्रेसिंग की सरलता, लॉजिस्टिक सेवाओं की गुणवत्ता, कार्गो की समय पर डिलिवरी, राज्य का सहयोग और नियमनकारी प्रक्रियाओं की कार्यक्षमता आदि का समावेश होता है, जिसमें गुजरात आगे रहा है। गुजरात एक प्रगतिशील राज्य है। राज्य के मैन्यूफेक्चरिंग क्षेत्र के लिए लॉजिस्टिक्स रीढ़ के समान है। राज्य में भविष्य को ध्यान में रखते हुए कई प्रोजेक्ट शुरू हुए हैं। लगभग 560 किलोमीटर लंबा समर्पित माल ढुलाई गलियारा (डीएफसी) गुजरात से होकर गुजरेगा। उसके साथ रेल आधारित ट्रैफिक को बढ़ाने के लिए फ्रेट लॉजिस्टिक्स पार्क की योजना बनाई गई है। इस प्रोजेक्ट में अकेले गुजरात का ही अनुमानित निवेश लगभग 7000 करोड़ रुपए है। 110 किमी लंबा और 6 लेन का अहमदाबाद-धोलेरा एक्सप्रेस-वे भी फिलहाल निर्माणाधीन है। यह एक्सप्रेस-वे धोलेरा विशेष निवेश क्षेत्र (एसआईआर) और प्रस्तावित धोलेरा अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डे को अहमदाबाद के साथ जोड़ेगा। इसके साथ ही लगभग 11 जेट्टी और विभिन्न बंदरगाहों के विकास की योजना बनाई गई है। औद्योगिक क्षेत्रों के साथ कनेक्टिविटी मुहैया कराने के उद्देश्य से लगभग 7 रेलवे कनेक्टिविटी प्रोजेक्ट का भी प्रस्ताव रखा गया है। जिसमें हजीरा बंदरगाह तक रेलवे कनेक्टिविटी और हजीरा के औद्योगिक क्षेत्र से डीएफसी तक रेलवे लाइन कनेक्टिविटी का समावेश होता है। इसके अतिरिक्त मौजूदा रेल लाइनों का दायरा भी बढ़ाया जा रहा है। कटोसण-बेचराजी-चाणस्मा-रणोज लाइ पर गेज परिवर्तन प्रोजेक्ट का काम जारी है। राज्य के बंदरगाहों को प्रथम और अंतिम मील तक कनेक्टिविटी प्रदान करने और अन्य रेलवे लाइन प्रोजेक्ट आदि के लिए भी राज्य सरकार ने आयोजन किया है। जिसमें न्यू बेडी और रोजी तथा नारगोल बंदरगाह शामिल हैं। वातावरण में कार्बन डाइऑक्साइड के उत्सर्जन में परिवहन सेवा की अहम हिस्सेदारी रहती है। लिहाजा, किसी भी नीति के निर्माण में इस बात का विचार होना ही चाहिए कि परिवहन सेवा के क्षेत्र में कार्बन डाइऑक्साइड का उत्सर्जन कम हो। गुजरात की इस एकीकृत लॉजिस्टिक्स एंड लॉजिस्टिक्स पार्क नीति में इसे लेकर भी विचार किया गया है। इस क्षेत्र को ज्यादा टिकाऊ और पर्यावरण अनुकूल बनाने के लिए इस नीति में अनुसंधान और विकास तथा नवाचार को प्रोत्साहन देने का भी प्रावधान है। इस नीति के एक भाग के रूप में राज्यभर में लॉजिस्टिक्स मास्टर प्लान विकसित किया जाएगा। वर्तमान समय में इंफ्रास्ट्रक्चर का जिस तरह से उपयोग हो रहा है, उसका अध्ययन कर और उसके आधार पर राज्यभर में नए प्रोजेक्ट्स के लिए सामरिक स्थान निर्धारित किए जाएंगे। 10 से अधिक सरकारी विभागों और एजेंसियों के साथ सुचारू समन्वय द्वारा यह कार्य होगा। जिसमें बंदरगाह और परिवहन विभाग, सड़क एवं आवास विभाग, जीयूजेएसएआईएल, जी-राइड, जीआईडीसी और जीएमबी आदि का समावेश होता है। गुजरात के औद्योगिक विकास सहित सर्वांगीण विकास में यह नीति गेम चेंजर नीति बन सकती है। इस परिस्थिति में इस नीति के उद्देश्यों का कार्यान्वयन और उसे व्यापक रूप से अपनाने के लिए विशेषज्ञों की एक अलग टीम बनाने का प्रावधान इस नीति में किया गया है। ये विशेषज्ञ निजी क्षेत्र और ट्रेड एसोसिएशनों के साथ समन्वय साधेंगे। मुख्यमंत्री श्री विजय रूपाणी द्वारा सैद्धांतिक मंजूरी प्राप्त यह एकीकृत लॉजिस्टिक्स एंड लॉजिस्टिक्स पार्क नीति-2021 गुजरात को लॉजिस्टिक्स संचालन के क्षेत्र में देश में पथप्रदर्शक बनाएगी।