चंडीगढ़। निजी अस्‍पतालों को कोकोरोना वैक्‍सीन बेचने को लेकर विपक्ष कांग्रेस और कैप्‍टन अमरिंदर सिंह सरकार पर हमलावर है। विपक्ष का कहना है कि कांग्रेस के राहुल गांधी लोगों को वैक्‍सीन मुफ्त में देने के सुझाव दे रहे हैं और दूसरी ओर उनकी पार्टी की पंजाब सरकार इसे बेचने में जुटी है। शिरोमणि अकाली दल ने इस मुद्दे पर सीबीआइ जांच की है। आप ने कहा है कि राज्‍य के सेहत मंत्री बलबीर सिंह सिद्धू को बर्खास्त किया जाए। पूर्व केंद्रीय मंत्री हरसिमरत बादल ने निजी अस्‍पतालों को कोरोना से बचाव की वैक्‍सीन बेचने को घोटाले करार दिया है। उन्होंने कांग्रेस के पूर्व प्रधान राहुल गांधी की चुपी पर सवाल उठाया है। उन्‍होंने कहा कि राहुल अब अपनी सरकार के मंत्री के घोटाले पर चुप क्यों हैं? उन्होंने कहा कि कैप्टन सरकार को अपना रुख स्पष्ट करना चाहिए, वह लोगों को बचाना चाहती है या वैक्सीन बेचकर लाभ कमाना चाहती है। उन्होंने केंद्र सरकार की ओर से वैक्सीन का निर्यात किए जाने पर भी सवाल उठाए।
उधर शिअद प्रधान सुखबीर सिंह बादल ने अकाली नेताओं के साथ करोड़ों रुपये के इस घोटाले में सोमवार को सेहत मंत्री बलबीर सिंह सिद्धू के आवास के बाहर दो घंटे धरना देने का एलान किया है। पार्टी के प्रवक्ता डा दलजीत सिंह चीमा ने कहा कि सरकार ने निजी अस्पतालों को वैक्सीन की डोज 1060 रुपये प्रति डोज की दर से बेचने की बात कबूल की है। स्पष्ट है कि मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह एक भ्रष्ट मंत्री का संरक्षण दे रहे हैं। कांग्रेस सरकार ने मामले की सीबीआइ जांच करवाए। अगर कैप्टन ऐसा नहीं करते हैं तो 2022 में शिअद अपनी सरकार बनते ही सीबीआइ जांच करवाई जाएगी। वहीं आप विधायक और पंजाब विधानसभा में नेता विपक्ष हरपाल सिंह चीमा ने मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह से सेहत मंत्री बलबीर सिद्धू को तुरंत बर्खास्त कर इस घोटाले में शामिल मंत्री व संबंधित अधिकारियों के खिलाफ केस दर्ज करने की मांग की है। चीमा ने कहा कि मंत्री सिद्धू के निजी अस्पतालों से वैक्सीन वापस लेने के आदेश से साबित होता है कि कैप्टन सरकार ने बड़ा वैक्सीन घोटाला किया है। गौरतलब है कि पंजाब सरकार की ओर से 18 से 44 आयु वर्ग के लिए 400 रुपये प्रति डोज वैक्सीन खरीदने के बाद इसकी 80 हजार डोज 1060 रुपये प्रति डोज की दर से निजी अस्पतालों को बेच कर 5।28 करोड़ रुपये का मुनाफा कमाने का मामला सामने आया था। हालांकि सरकार ने बेची गई वैक्सीन वापस लेने के आदेश जारी कर दिए हैं लेकिन सरकार विरोधियों के निशाने पर है।

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