नई दिल्ली । पेट्रोल-डीजल के विकल्प सीएनजी अभी तक बसों में जो परंपरागत गैस सिलेंडर लगे होते हैं, उसमें 80 से 100 किलो सीएनजी ही भरी जा सकती है। इसका मतलब है कि वह अधिकतम 500 किलोमीटर की दूरी सफर कर सकती है। लेकिन अब इस तरह की बसें आ गई हैं, जिनमें 225 से 275 किलो तक सीएनजी भरी जा सकती है। इससे बीएस 6 तकनीक वाली बसें 1,100 से 1,200 किलोमीटर तक दौड़ सकती हैं। यदि सड़क मार्ग से दिल्ली से पटना जाया जाए तो दूरी 1,085 किलोमीटर ही पड़ती है। सीएनजी और पीएनजी क्षेत्र की देश की सबसे बड़ी कंपनी इंद्रप्रस्थ गैस लिमिटेड (आईजीएल) ने एक निजी कंपनी के साथ मिल कर एक नए तरह के गैस सिलेंडर का विकास किया है। अभी तक बसों में परंपरागत स्टील के सिलेंडर लगाए जा रहे हैं। यह काफी भारी होता है। अब जो सिलेंडर का विकास किया गया है, वह कंपोजिट मैटेरियल का बना हुआ है। यह स्टील के मुकाबले 70 फीसदी हल्का है। वजन कम होने की वजह से इन बसों में ज्यादा गैस भरी जा सकती है।
आईजीएल ने उत्तराखंड परिवहन निगम की बसों से लांग हॉल बसों के परीक्षण का करार किया है। ये बसें बीएस-6 मानक की हैं, इसलिए इनका माइलेज भी बेहतर है। दावा है कि बस एक बार रीफिल करने पर 1000 किमी से ज्यादा दूरी तय करेगी। इन बसों में जो सीएनजी गैस सिलेंडर लगाया गया है, उसका वजन मौजूदा सीएनजी सिलेंडर के मुकाबले करीब 70 फीसदी कम है। इस नए सिलिंडर में 225 से 275 किलो सीएनजी भरी जा सकेगी। अभी जो सीएनजी बसें मौजूद हैं, उनके सिलिंडर में 80 से 100 किलोग्राम तक ही सीएनजी भरी जा सकती है। सीएनजी बस न सिर्फ प्रदूषण रोकेगी, बल्कि फ्यूल पर होने वाले खर्च को भी बचाएगी। बस सर्विस के लिए महिंद्रा एंड महिंद्रा और अमेरिका की एगिलिटी सॉल्यूशन के साथ समझौता हुआ है। सुप्रीम कोर्ट की ओर से साल 2001 में ही डीजल आधारित इंटरस्टेट बसों का मुद्दा उठाया गया था। तब दिल्ली को छोड़कर बाकी राज्यों में सीएनजी की मौजूदगी न होने पर इस इंटरस्टेट बसों की एंट्री पर रोक को हटा दिया गया था। इससे कुछ राज्यों की बसें दिल्ली की सीमा पर स्थित चुनिंदा बस अड्डे तक ही आ सकती हैं। केंद्र सरकार ने दिल्ली को प्रदूषण मुक्त बनाने के लिए चार ग्रीन कॉरीडोर बनाने का निर्णय लिया है। इसमें एक कॉरीडोर दिल्ली से देहरादून है। बाकी कॉरीडोर में दिल्ली से जयपुर, आगरा और चंडीगढ़ शामिल किए गए हैं। पिछले साल दिसंबर में केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने इन कॉरीडोर में आधुनिक तकनीक से लैस आईजीएल की ‘टू-बाइ-टू’ सीएनजी बस चलाने की योजना को अपनी हरी झंडी दी थी। इनमें उत्तराखंड के साथ प्रारंभिक चरण में पांच बस का करार हुआ था।














