मदरलैंड संवाददाता, पुरैनी मधेपुरा

बता दें कि पुरैनी प्रखंड अंतर्गत गणेशपुर निवासी किसान ने बताया कि टमाटर की खेती से बड़ा उम्मीद लगाए थे लेकिन काफी ज्यादा टमाटर नुकसान हो रहा है|
यह मुसीबत सिर्फ एक किसान का ही नहीं हैं, बल्कि पिछले 10 दिनों में गिरीं टमाटर की औंधे मुंह कीमतों ने सैकड़ों किसानों के अरमानों पर पानी फेर दिया है। टमाटर की गिरती कीमतों ने किसानों के चेहरे पर चिंता की लकीरें खींच दी हैं। किसान ने बताया हैं कि दो बीघा  में टमाटर लगाया था। सोचा था आगे चलकर लड़का-बिटिया की शादी करनी है। उसके लिए धीरे-धीरे पैसा इकट्ठा करना है, लेकिन इस बार पैसा नहीं बच पाएगा। न ही घर बना पाऊंगा।  किसान टमाटर की खेती करते हैं। गर्मी अधिक होती है तो पानी भी अधिक लगता है, जिससे लागत बढ़ जाती है। बाजार में दाम न मिलने की वजह से मुनाफा तो दूर लागत निकालना भी मुश्किल हो जाता है। ऐसे मौसम में कीड़े भी लगने का खतरा रहता है। बाजार में थोक कीमतें छह-सात रुपए किलो के हिसाब से जा रही हैं।
दूसरे किसान ने बताया कि एक बीघा टमाटर की खेती में करीब 10 हजार की लागत लगती है। इस बार गर्मी अधिक होने की वजह से 13-14 पानी लगाने पड़े, जिसमें करीब तीन हजार खर्च हो गया। इतना ही रुपया दवा छिड़काव में चला गया। एक हजार की खाद और सात सौ का बीजा खत्म हो गया। जुताई, निकौनी व लेवरी भी गई। एक बीघा फसल में 100 से 125 क्रेट टमाटर उत्पादन होता है। एक क्रेट में 25-26 किलो टमाटर भरता है। अमोद मंडल का कहना है कि शुरुआत में तो कीमतें अच्छी मिलीं। 500 रुपए की क्रेड बिक्री हुई थी, लेकिन वर्तमान समय में एक क्रेट की कीमत 150-180 रुपए है। उसमें भी 40 रुपए बाजार तक भेजने का खर्च आ जाता है। लॅकडाउन में कही से व्यापारी भी नहीं आते हैं।  कीमत कम होने का कारण गर्मी की वजह से टमाटर का अचानक पककर तैयार होना बताया जा रहा है। पहले 10 क्रेट भरकर टमाटर निकलता था, लेकिन अब एक बीघा में 30 क्रेट निकल रहा है।
इन दिनों ये है बाजार भाव
फुटकर बाजार में टमाटर 5 रुपए से 10 रुपए किलो बिक रहा है। शुरुआती दौर में कीमतें 40-60 रुपए किलो तक रहीं। अचानक रेट नीचे आ गए हैं। इसका कारण भारी तादाद में टमाटर का एकाएक बाजार में आना है।
गर्मी का टमाटर का रकवा कम है। जिले में करीब 100 हेक्टेयर में टमाटर पैदावार होती होगी।  शुरुआत में कीमतें अच्छी रहीं, अब कम है। लॅकडाउन के कारण काफी नुकसान हुआ है|

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