मदरलैंड संवाददाता पंडौल मधुबनी।

पंडौल प्रखंड अंतर्गत सागरपुर कब्रिस्तान स्थित प्राचीन दरगांह जहां शब ए बारात की रात सैकड़ों लोग अपनी मुरादे लेकर दुआ मांगने जाते हैं। लेकिन इन दिनों लोगों ने लाॅकडउन का सख्ती से पालन करते हुए घरों में इबादत किए।
शब-ए-बारात: मगफिरत की रात में रो-रोकर मांगी गईं कोरोना वायरस से निजात की दुआएं शब-ए-बरात पर मुस्लिम समाज के लोग मस्जिदों में नमाज पढ़ते हैं। कब्रिस्तान में जाकर पुरखों को याद किया जाता है। उनकी कब्र पर फातिहा पढ़ाते हैं। इस बार कोरोना वायरस को देखते हुए मुस्लिम धर्मगुरू ने पैगाम जारी किया था। उन्होंने कहा कि लॉकडाउन के चलते लोग घरों में ही शब-ए-बरात मनाएं। शब ए बारात की रात नमाज पढऩे का विशेष महत्व माना गया है। इस दौरान लोग अल्लाह से अपने गुनाहों पर तौबा करते हुए मुल्क व परिवार के लिए दुआ मांगते हैं। तिलावते कुरआन भी किया जाता है। ऐसा माना जाता है कि इस रात अल्लाहताला जहन्नुम से गुनहगारों को आजाद करके जन्नत में दाखिल फरमाता है। अन्य त्योहारों की तरह शब ए बारात पर भी लॉकडाउन का असर रहा।
गौरतलब है कि शहर में लॉकडाउन के चलते मुस्लिम धर्मगुरुओं की ओर से घरों में रहकर इबादत करने की अपील की गई थी। जिसमें उन्होंने कहा था कोरोना वायरस के संक्रमण से बचाव के लिए इस तरह का फैसला लिया गया है। मुस्लिम धर्मगुरुओं और सरकार व जागरूक नागरिकों की अपील का ऐसा असर दिखा कि चारदीवारी क्षेत्रों की सड़के सूनीं रही और लोगों ने घरों में रहकर ही इबादत की।

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