मदरलैंड संवाददाता बगहा
विगत 23 मार्च से ही रुक रुक कर तीसरे फेज में आज देश पहुंच गया है। वैश्विक महामारी को देखते हुए भारत सरकार ने “लॉक डाउन” जैसा नियम लगाकर लोगों को अपने घरों में रहने की हिदायत दिया गया है। इसके दौरान झोला छाप डॉक्टरों ने पहले की1 अपेक्षा अब इस समय अधिक कमाई करने में व्यस्त दिख रहे हैं । कारण है कि सरकारी डॉक्टरों की टीम कोरोना वैरियरस के रूप में अपनी लगातार सेवा दे रहे हैं तथा इन लोगों को फुर्सत नहीं होने के कारण ग्रामीण चिकित्सकों की चांदी कटने लगी है। पश्चिमी चंपारण जिले के बगहा अनुमंडल अंतर्गत वाल्मिकीनगर, हरनाटांड़, सेमरा, चिउटहा, भैरोगंज, रामनगर, चौतरवा, परसौनी, गंडक पार के मधुबनी पिपरासी, भितहा एवं ठकरहा समेत सभी ग्रामीण इलाकों में पांचवा पास डॉक्टरों की बाढ़ सी आ गई है। इसपर अंकुश लगाने वाले कोई अधिकारी नहीं है।यहां तक की झोला में कुछ दवाइयों को लेकर तथा कथित डॉक्टरों ने साइकिल पर सवार होकर प्रतिदिन दर्जनों लोगों के घरों में जाते हैं तथा दर्जनों मरीजों का इलाज करते क्रम में छुआछूत कर अपने घर वापस आते हैं। एक तरफ भारत सरकार ने लॉक डाउन में सोसल डिस्टेंस की दुहाई देकर लोगों को अपने घरों में रहकर देश से कोरोना जैसी घातक बीमारी को दूर भगाने में देश के सभी सम्मानित नागरिकों से लगातार अपील किया जा रहा है। वही पंचायत स्तर पर मुखिया के द्वारा लाउडस्पीकर से लोगों को इस बीमारी से सचेत व सतर्क रहने की अपील की जा रही है। बावजूद इसके झोलाछाप डॉक्टरों ने नियम का उल्लंघन करते हुए अपने चालबाजी से बाज नहीं आ रहे हैं। इसके दौरान कई समाजसेवी लोगों ने सरकारी महकमा में बैठे उच्च अधिकारियों की झोलाछाप डॉक्टरों से मिलीभगत तथा सांठगांठ कर उन्हें आजादी दिलाई गई है। यहां तक की पुलिस भी इससे अछूता नहीं है। जिस तरह से फर्जी दवा दुकानदार पीएचसी अधिकारियों को महीने के अंत में सलामी देने पहुंचते हैं। ठीक उसी तरह पुलिस महकमे में भी सलामी देना पड़ता है।जिसके चलते आज झोलाछाप डॉक्टरों की मनोबल सातवें आसमान पर है। साथ ही ग्रामीण इलाकों के किसी भी चौक चौराहे पर धड़ल्ले से छोटी-छोटी गुमटी में दवा की दुकान खोलकर डॉक्टर मौत बेच रहे हैं। अब देखना है कि सरकार में बैठे उच्च अधिकारी अधिकारी झोलाछाप डॉक्टरों के विरुद्ध किस तरह की कदम उठाते हैं ।