मदरलैंड संवाददाता,
- प्राचीन किले के प्रांगण में लगता था सैकड़ो रोजेदारों की भीड़
- हिन्दू मुश्लिम एकता के प्रतीकों में से एक है बलुआ का किला
सीवान ।गुठनी प्रखण्ड के बलुआ में माहे रमजान के पाक महीने में लगने वाले इबादतगाह और मस्जिदों में जहाँ नामाजदारों की भीड़ उमड़ती थी। वही कोरोना महामारी को लेकर जारी लॉक डाउन में इबादतगाह बीरान पड़ा हुआ है। प्रखण्ड के सबसे प्राचीन मस्जिदों में एक जमा मस्जिद में नमाजियों की भीड़ उमड़ पड़ती थीं। जिसमे बलुआ, तिरबलुआ, हनुमानगंज, मैरिटार समेत दर्जनों गांवों के हजारो लोगो की भीड़ इबादतगाह और मस्जिद में उमड़ती थी। हालांकि लॉक डाउन में लोग सूरा तरावीह अपने घरों में ही रहकर कर रहे हैं। ग्रामीणों का कहना था कि हिन्दू मुश्लिम एकता का प्रतीक इस पाके रमजान महीने में लोग एक दूसरे से जाकर मिलते थे और शाम को मस्जिदों, इबादतगाह, घरों और मस्जिद प्राँगण में सैकड़ो लोगो की भीड़ लगती थी। हालांकि ग्रामीणों का कहना था कि इस कार्यक्रम के लिए रोजदारो के बीच लोग खुद जाकर आमंत्रण देते थे। और एक दूसरे के साथ बैठकर रोजा खोलते थे। ग्रामीणों का कहना था कि करीब 200 वर्षों से पूर्व चली आ रही इस परंपरा को आज की भी युवा पीढ़ी पूरे शिद्दत के साथ निभाती है। इस दौरान स्थानीय युवा और समाजसेवी एक दूसरे के मदद में लगे हुए हैं। उन्होंने कोरोनावायरस से निपटने के लिए सभी को सहयोग देने की अपील की है।
मानव जाति की सलामती के लिए करे दुआ
कोविड-19 के खिलाफ जारी इस युद्ध में सरकार द्वारा उठाए जा रहे सभी एहतियातन कदम को हम सभी को पालन करने की जरूरत है। इस रमजान महीने के 12 दिन हम सभी को मानव जाति के सलामती की दुआ करने की जरूरत है। क्योंकि इस्लाम सभी की सलामती की ख्वाहिश करता है। इस दौरान हम सभी को गरीबों, जरूरतमंदों, मजदूरों, किसानों, बीमारो और बच्चों को मदद करने की जरूरत है। जिससे इंसानियत और इंसान दोनों सलामत रहे। इस महामारी में हमें सीमित संसाधनों का उपयोग करना चाहिए। हमें पुराने कपड़े घरों में बनने वाली चीज और कम से कम खर्चों में रमजान के इस पवित्र महीने में मनाने की जरूरत है।