मदरलैंड संवाददाता, नरकटियागंज

नॉवेल कोरोना वायरस के कारण आज लगभग सारी दुनिया ‘लॉक डाउन’ के दौर से गुजर रही है । यह वायरस स्तनधारियों और पक्षियों में रोग उत्पन्न करता है, इससे मानव जाति सबसे अधिक प्रभावित है।  यह दुनिया भर में लाखों लोगों की जान ले चूका है सभी लोगों में डर का माहौल है परन्तु दुनिया भर में हुए इस लॉकडाउन के कारण प्रकृति पर सकारात्मक असर होता हुआ नजर आ रहा है।इस महामारी के चलते हैं सम्पूर्ण पृथ्वी की अधिकतर कल-कारखाने, गाड़ियां, मशीनें आदि सब बंद है इसका असर पर्यावरण पर साफ देखा जा सकता है इसके कारण लगभग समस्त पृथ्वी के जलश्रोतों का जल, वायु की गुणवत्ता समेत सभी प्राकृतिक गतिविधियों में काफी सुधार हुआ है।
 360 रिसर्च फाउंडेशन की टीम नदियों और आसपास के जीव-जंतुओं पर अध्ययन कर रही है, इस अध्ययन में अनेक प्रकार के तथ्य सामने आ रहे हैं। कई छोटे-छोटे जल स्रोत भी साफ सुथरे नज़र आ रहे हैं, बड़ी बड़ी नदियां भी स्वच्छ हो चुकी हैं, सड़क पर वाहन नहीं चल रहा है लिहाजा वातावरण में जहरीली हवा और धुल-कण नहीं हैं। यह सुखद अनुभव है।
प्रकृति में आए इस सकारात्मक बदलाव से पर्यावरणविद् बेहद उत्साहित हैं। 360 रिसर्च फाउंडेशन के अध्यक्ष सुधांशु शेखर ने कहा कि कई दशकों बाद नदियों का पानी हवा और वातावरण इतना साफ सुथरा नजर आ रहा है। मानव की गतिविधियों ने प्रकृति को दूषित कर रखा था परंतु ‘लॉक डाउन’ के करीब 2 महीनों ने सारी दुनिया को स्वच्छ कर दिया है यदि इस प्रकार का माहौल रहे तो सभी हमेशा स्वस्थ रहेंगे। बीमारियों का असर कम से कम होगा क्योंकि बीमारी का अधिकतर कारण प्रदूषण ही होता है। कल-कारखानों से निकलने वाले पानी के कारण मच्छर और भी बहुत सारे छोटे-छोटे कीटाणु पैदा हो जाते हैं, अब कम पैदा होंगे।
 टीम के सदस्य उत्तम प्रकाश ने कहा कि मानव को इस प्राकृतिक  शक्ति से सीख लेनी चाहिए। इस बात को समझना चाहिए कि यदि हम इसे दूषित कर देते हैं तो सैकड़ों वर्षों में फैलाए गए प्रदूषण को यह कुछ महीनों में सुधार कर लेती है। यह प्रकृति हमें खाने पीने और जीने की सारी सुख सुविधाएं उपलब्ध कराती हैं। अतः हमें इस प्रकृति को ध्यान में रखते हुए अपने कार्यों को करने चाहिए
स्वास्थ्य सलाहकार डॉ अब्दूर्रहमान ने बताया कि अधिकतर बीमारियां प्रदूषण के कारण ही होती हैं। लॉकडाउन के कारण अधिकतर लोग छोटी-छोटी बीमारियों को नजर अंदाज कर रहे  हैं यही कारण है कि अस्पतालों में मरीजों की संख्या बहुत हद तक कम हुई है। लॉक डाउन के दौरान मरीजों की संख्या में गिरावट के कई कारण हैं जानकार इस पर अध्ययन कर रहे हैं।श्री शेखर ने जानकारी देते हुए कहा कि यदि लॉक डाउन थोड़े और समय तक रहा तो प्रकृति अपने बहुत सारे असंतुलन को ठीक कर लेगी।
लॉक डाउन के कारण बे मौसम बरसात से क्षति भी हो रही है परंतु प्रकृति अभी अपने शुद्धतम रूप में आ रही है यह शुद्धतम रूप अपने हिसाब से वर्षा कराता है। हम प्रदूषण के आदी हो चुके थे और उसी हिसाब से हम अपने जीवन को व्यवस्थित कर चुके थे।
प्रकृति में प्रतिदिन बढ़ने वाले प्रदूषण का दर अचानक कम हो जाने के कारण वातावरण में गर्म गैसों की मात्रा कम हुई है यही कारण है कि जलवाष्प सूर्य के गर्मी के कारण वायुमंडल में जा रहा है, और वायुमंडल का तापमान कम  हुआ है इस कारण जलवाष्प संघनित होकर वर्षा का रुप ले रहा है।
प्रकृति में होने वाली गतिविधियों की जानकारी लेने के लिए प्रकृति की समझ नामक कार्यक्रम 360 रिसर्च एंड इनोवेशन ग्रुप द्वारा चलाया जा रहा है इस कार्यक्रम के तहत पर्यावरण में होने वाले बदलाव का अध्ययन करने के लिए टीम के सदस्य निकले तो कई बातें सामने आई।360 रिसर्च फाउंडेशन के अध्ययन कार्य में शोशल-डिस्टेंस को ध्यान में रखते हुए टीम कार्य कर रही है। टीम में दीपक कुमार, कुणाल कुमार, सतीश कुमार, अनुज कुमार, अर्पित राज, विवेक कुमार, सत्य नारायण हाजरा समेत अन्य सदस्य प्रकृति में होने वाले बदलाव को समझने का प्रयास कर रहे हैं।

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