नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि तानाशाही, आतंकवाद, हिंसक उग्रवाद, झूठी सूचनाओं और आर्थिक जोर-जबरदस्ती से उत्पन्न विभिन्न खतरों से साझा मूल्यों की रक्षा करने में भारत जी-7 का एक स्वाभाविक साझेदार है। प्रधानमंत्री ने जी-7 के शिखर सम्मेलन के सत्र को डिजिटल माध्यम से संबोधित करते हुए यह टिप्पणी की। विदेश मंत्रालय के अनुसार, जी-7 शिखर सम्मेलन के ‘मुक्त समाज एवं मुक्त अर्थव्यवस्थाएं’ सत्र में मोदी ने अपने संबोधन में लोकतंत्र, वैचारिक स्वतंत्रता और स्वाधीनता के प्रति भारत की सभ्यतागत प्रतिबद्धता को रेखांकित किया। उन्होंने कहा, मोदी ने आधार, प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (डीबीटी) और जेएएम (जन धन-आधार-मोबाइल) तीनों के माध्यम से भारत में सामाजिक समावेश और सशक्तिकरण पर डिजिटल प्रौद्योगिकियों के क्रांतिकारी प्रभाव को भी रेखांकित किया।
पी हरीश ने बताया कि धानमंत्री ने अपने संबोधन में मुक्त समाज में निहित संवेदनशीलताओं का जिक्र किया और प्रौद्योगिकी कंपनियों तथा सोशल मीडिया मंचों का आह्वान किया कि वे अपने उपयोगकर्ताओं के लिए सुरक्षित साइबर परिवेश सुनिश्चित करें। हरीश ने कहा कि जी-7 के अध्यक्ष के रूप में ब्रिटेन ने भारत, ऑस्ट्रेलिया, दक्षिण कोरिया, दक्षिण अफ्रीका को शिखर सम्मेलन में विशेष अतिथि के रूप में आमंत्रित किया था। अपने संबोधन में प्रधानमंत्री ने कई नेताओं द्वारा जतायी गयी इस चिंता को साझा किया कि खुले समाज में झूठी सूचनाएं फैलने का ज्यादा खतरा रहता है और जोर दिया कि लोकतांत्रिक मूल्यों को बनाए रखने के लिए साइबर परिवेश को सुरक्षित रखने की जरूरत है। मोदी ने खुले समाज की प्रतिबद्धता के लिए बहुपक्षीय प्रणाली के सुधार का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि जी-7 के सत्र में भारत की भागीदारी से समूह की यह सोच प्रतिबिंबित होती है कि हमारे समय की सबसे बड़ी समस्या का समाधान भारत की भागीदारी के बिना संभव नहीं है। अधिकारी ने कोरोना वायरस महामारी का हवाला देते हुए कहा कि जी-7 के सत्र में भारत की भागीदारी, समूह के इस दृष्टिकोण को प्रदर्शित करता है कि सबसे बड़े वैश्विक संकट का समाधान भारत के सहयोग और समर्थन के बिना संभव नहीं है। प्रधानमंत्री ने कोविड-19 टीकों पर पेटेंट छूट के लिए समूह के समर्थन का भी आह्वान किया। हरीश ने कहा कि मोदी के आह्वान का सभी ने भी समर्थन किया। जलवायु परिवर्तन पर एक सत्र में प्रधानमंत्री ने सामूहिक कार्रवाई पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि जी-20 समूह में भारत इकलौता देश है जो पेरिस समझौते को पूरा करने के रास्ते पर है। प्रधानमंत्री ने जोर दिया कि पर्यावरण कोष तक विकासशील देशों की बेहतर पहुंच होनी चाहिए और जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए समग्र दृष्टिकोण अपनाना चाहिए। मोदी ने जी-7 से जलवायु वित्तपोषण में सालाना 100 अरब डॉलर के अपने अधूरे वादे को पूरा करने का भी आह्वान किया।

Previous articleयशवंत सिन्हा का तंज, राम को भी नहीं छोड़ा, मोदी है तो मुमकिन है -राम मंदिर के लिए दो करोड़ कीमत की जमीन 18 करोड़ रुपए में खरीदी: संजय सिंह
Next article15 जून 2021

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here