नई दिल्ली। राजधानी में गणतंत्र दिवस पर प्रदर्शन के दौरान हुई हिंसा और पिछले साल हुए दंगों के मामलों में लोक अभियोजकों (वकीलों) का पैनल बनाने को लेकर रार बढ़ गई है। उप-राज्यपाल (एलजी) अनिल बैजल ने दिल्ली सरकार के फैसले को खारिज कर दिया है और इस संबंध में भेजी उसकी फाइल को राष्ट्रपति के विचारार्थ केंद्रीय गृह-मंत्रालय को भेज दी है।
पिछले सप्ताह दिल्ली मंत्रिमंडल ने वकीलों के पैनल पर पुलिस के प्रस्ताव को खारिज कर दिया था और अपने पैनल को सही बताया था। उसके बाद फाइल उपराज्यपाल के पास अनुमति के लिए भेज गई थी।सूत्रों ने बताया कि उपराज्यपाल कार्यालय और दिल्ली सरकार के बीच मत भिन्नता की वजह से मामला राष्ट्रपति के विचार के लिए सुरक्षित रखा गया है। इससे संबंधित फाइल शुक्रवार को गृह मंत्रालय को भेज दी गई।
उपराज्यपाल कार्यालय ने इस मामले में दिल्ली पुलिस के बनाए पैनल की सिफारिश की है। इसमें कहा गया है कि गणतंत्र दिवस के दिन हुईं हसक घटनाओं के मामले में 11 और उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हुए दंगों के मामलों में तीन अन्य विशेष लोक अभियोजक तत्काल नियुक्त किए जाएं।
नए कानून बनने के बाद एलजी ने पहली बार राष्ट्रपति का विचार मांगाइस साल अप्रैल में दिल्ली राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र शासन (संशोधन) अधिनियम 2021 के प्रभाव में आने के बाद यह पहली बार है, जब उपराज्यपाल ने दिल्ली सरकार के साथ मत भिन्नता की वजह से किसी मामले को राष्ट्रपति के पास विचार के लिए भेजा है।
इस कानून के मुताबिक, दिल्ली सरकार को किसी भी निर्णय में उपराज्यपाल की राय लेनी होगी। एक साल में दूसरी बार वकीलों की नियुक्ति के मामले में उपराज्यपाल कार्यालय और दिल्ली सरकार में टकराव की स्थिति उत्पन्न हुई है। कुछ माह पहले सरकार ने 2020 के दंगों के मामले में पुलिस के वकीलों के पैनल को मानने से इन्कार कर दिया था।

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