रोहित गुप्ता
• कोरोना महामारी से लड़ाई का विशेष अंग है घर मे बंद रहना। कुछ लोग सोच रहे हैं सब बंद है, संघस्थान पर शाखा बंद है, वर्ग नही लगे आदि। लेकिन जैसे लोकडॉउन में जीवन चल रहा है वैसे संघ का कार्य भी चल रहा है ।
• मनुष्य जीवन की कल्पना है, स्वयं अच्छा बनना एवं दुनिया को अच्छा बनाना ।
• अपनी परंपरा है एकांत में, आत्मसाधना एवं लोकांत में परोपकार। यही संघ कार्य का भी स्वरूप है।
• प्रार्थना परिवार में हो रही है समय निश्चित है एवं प्रतिज्ञा भी प्रतिदिन स्मरण कर रहे हैं। जितना संभव है उतना हो रहा है। बाकी कार्यक्रम सेवा के रूप में चल रहा है।
• सारा समाज इसमे हमें प्रोत्साहन दे रहा है । यही अपना कार्य है सिर्फ कार्यक्रम कार्य नहीं है, जो हम किसी कारण से नहीं कर पा रहे। उदा. तथागत के जीवन की घटना, उनके जीवन चरित्र की पुस्तक चीन में छपने वाली,दो आपदा के बाद जब छपी तो उसमें तीसरा संस्करण लिखा था।
• सेवा – स्वार्थ, अहंकार की तृप्ति, कीर्ति प्रसिद्धि के लिए नहीं कर रहे। प्रेरणा देने के लिए वृत आदि छापते हैं। अपना डंका बजाने के लिए नहीं। सेवा के पीछे हमारी आत्मीय वृत्ति है। श्रेय दूसरों को देते हैं।
• सभी लोगों से जो नियम अपेक्षित है वह करते हुए सेवा करनी है। अपने उदाहरण से लोगों को समझाना।
• महामारी नई है लेकिन भय से डरके काम नही होगा। भय से संकट की ताकत बढ़ती है।
• अपना संतुलन रखते हुए बिना भय के आत्मविश्वास से योजना पूर्वक कार्य करना है।
• कब तक चलेगा? ,जब तक सब ठीक नहीं हो जाता, तब तक सेवा करेंगे। इसलिए सातत्य चाहिए बीच में छोड़ने से काम यशस्वी नही होगा। उदा. आत्महत्या वाली कहानी “डिफरेंस बिटवीन द सक्सेस एंड फैलियर इस 3 फीट”।
• सबके लिए करना है जो जो पीड़ित हैं। उदा. भारत द्वारा अन्य देशों को दवाई भेजना। पूरी शक्ति के साथ सेवा।
• अन्य लोग जो इस कार्य मे लगे हैं उनको भी साथ लेकर कार्य करना, सामूहिकता से कार्य, स्पर्धा नही। सेवा में अपनत्व की भावना कोई उपकार नहीं कर रहे है।
• सावधानी से कार्य करना।उदा. हनुमान जी की देवों द्वारा वंदना – धृति, दृष्टि, मति और दक्षता।
• सेवा जिनको आवश्यकता है वहां तक पहुंचें , धूर्त लोगों से बचे उनको पहचाने। सजकता से करना।
• अपनी दृष्टि – आदतों के कारण से भी समस्या उत्पन्न हुई लेकिन अब सबको अनुभव हो रहा है, अब उनकी मनोभूमिका तैयार है इसलिए हमने अच्छाई का प्रचार प्रसार भी करना।
• लोगों के जीवन सुरक्षित करने के साथ-साथ उसे गढ़ भी रहे हैं। हमारी प्रतिज्ञा भी यही है समाज का संरक्षण एवं सर्वांगीण उन्नति।
• धैर्य रखना पड़ेगा काम जब तक पूरा नहीं हो जाता। उदा. विदुर नीति में 6 दोषों को टालने की बात – निद्रा, तंद्रा, भय, क्रोध, आलस्य और दीर्घ सूत्रता।
• आलस्य और दीर्घ सूत्रता ना दिखाने का उदाहरण भारत ने विश्व मे प्रस्तुत किया।
• निद्रा तंद्रा यानी असावधानी। उदा. काम की धुन अच्छी है लेकिन उसमें विचार शून्यता नही होनी चाहिए। सजग रहना।
• भय और क्रोध को टालना। उदा. नियमों के पालन से ये भाव उतपन्न होना की हम पर प्रतिबंध लगा है।
• भड़काने वाले लोग भी है उससे क्रोध,अविवेक उत्पन्न होता है। इसका लाभ लेने वाली ताकतें घात लगाए बैठी हैं।
• अगर किसी ने भयवश या क्रोधवश कुछ किया तो उससे सारे समूह को एक माप में लपेटकर उससे दूरी बनाना ये भी ठीक नही।
• ये अपने देश का विषय है सामान्य जन ने ये खबरदारी लेनी चाहिए कि इसमे हमारी भूमिका सहयोग की ही होगी, कभी विरोध की नही होगी।
• मन मे, किंतु परंतु का लाभ उठाकर द्वेष फैलाने के प्रयास चल रहे हैं। भारत तेरे टुकड़े होंगे का कुविचार रख कर काम करने वाले ऐसा प्रयास करते हैं, राजनीति भी बीच मे आ जाती है। इससे हमें स्वयं पर एवं समाज में भी प्रभाव नहीं फैलने देना है।
• समूह के नेतृत्व करने वाले लोगों ने अपने समूह को भय, भ्रम और क्रोध से बचाना चाहिए। उदा. महाराष्ट्र के पालघर में संतो की नृशंस हत्या।
• इस समय देश हित मे भेद मिटाकर भय क्रोध को टालकर सबको कार्य करना चाहिए।
• लोग डाउन समाप्त होने के पश्चात भी लंबे समय सोशल डिस्टेंसिंग पर ध्यान देना पड़ेगा। अविवेकी नही होना है। उदा. अभी कुछ ढील देने पर लोगों की भीड़ जमा होना।
• राहत देने का काम कम हो सकता है लेकिन दिशा देने काम करते रहना होगा। समाज मे सद्भाव , सदाचार एवं सहयोग का वातावरण बनना चाहिए, गणमान्य लोगों को इसका नेतृत्व करना होगा। स्वयं का उदाहरण एवं उपदेश देना होगा।
• प्रतिकारक क्षमता बढ़ाने के उपाय कई जगह से हमे पता चल रहे हैं लेकिन कुटुंब के साथ मिलकर उसका नित्य नियम से पालन करना होग, स्वभाव में लाना होगा।
• संकट हमें सिखा भी रहा है। उदा. प्रधानमंत्री द्वारा स्वावलंबन की बात।
• अस्त व्यस्त जो हुआ है उसे हम ठीक कर ही लेंगे लेकिन इस संकट के अनुभव से कुछ सत्य उजागर हुए है, उनसे बोध लेकर अपने जीवन को उस अनुरूप बदलना होगा। यहां से राष्ट्र निर्माण का अगला चरण शुरू होगा।
• स्वावलंबन में अपने स्व. को पहचानना होगा। उदा. कम ऊर्जा खाने वाला, रोजकर देने वाला, पर्यावरण ना बिगाड़ने वाले विचार हमारे पास है।
• आधुनिक विज्ञान का उपयोग करके परंपरा के आधार पर जो सुसन्दर्भित है ऐसे विकास का मॉडल तैयार करना होगा, इसमे शासन, प्रशासन एवं समाज की भी पूरी भूमिका है।
• स्वदेशी का पालन, कम से कम में जीने का प्रयास व्यवहार में लाना। स्वदेशी के उत्पादन में गुणवत्ता इसका विचार उद्योगजगत, निर्माता, कारीगर आदि सभी को करना होगा।
• इस संकट काल मे कई परिवर्तन आये हैं नदी, वायु, स्वछता आदि में। सब सामान्य होने के बाद ये स्थिति बनी रहे ऐसा हमारा प्रयास होना चाहिए। उदा. जल संरक्षण, जैविक तरीके अपनाना। इसके लिए शासन की नीति के साथ समाज का मन तैयार होना चाहिए।
• परिवार में संवाद, सामंजस्य, समझदारी बढ़ी है, समाज भी परिवार का ही रूप है वहां भी यह असर हुआ है।
• नागरिक अनुशासन का पालन भी देशभक्ति। उदा. भगिनी निवेदिता एवं डॉक्टर अंबेडकर ।
• समाज में सद्भाव, सहयोग, शांति, शासन प्रशासन की नीति का आचरण समाज मे लाना होगा।
• भारत को विश्व का नेतृत्व करने वाला देश बनाने के लिए सबको सतत प्रयास करना होगा। संकट को अवसर बनाकर नए भारत का पुनरुत्थान करने का समय आ गया है।