मदरलैंड एजेंसी,

वाशिंगटन (एजेंसी)। भारत और चीन की सीमा पर एक बार फिर जारी गतिरोध के बीच अमेरिका खुल कर भारत के समर्थन में आ गया है। व्हाइट हाउस ने कहा कि चीन भारत समेत अपने पड़ोसी देशों के साथ उकसावे वाली और बलपूर्वक सैन्य एवं अर्द्धसैन्य गतिविधियों में संलिप्त है। अमेरिका ने स्पष्ट कहा कि दक्षिण एशिया में चीन ने अपने सभी पड़ोसी देशों के लिए माहौल ख़राब किया हुआ है। इससे पहले अमेरिका के एक शीर्ष राजनयिक ने भारत का समर्थन किया था जिस पर चीन ने कड़ी आपत्ति जाहिर की थी। व्हाइट हाउस ने एक रिपोर्ट में कहा ‎कि बीजिंग पीला सागर, पूर्व तथा दक्षिण चीन सागरों, ताइवान जलडमरूमध्य और चीन-भारत सीमा इलाकों में उकसावे वाली और बलपूर्वक सैन्य तथा अर्द्धसैन्य गतिविधियों में संलिप्त होकर अपने पड़ोसियों से की गई प्रतिबद्धताओं का उल्लंघन करता तथा अपने बयान से विरोधाभासी रुख अपनाता है। चीन गणराज्य की ओर अमेरिका का कूटनीतिक रुख’ शीर्षक की यह रिपोर्ट अमेरिकी कांग्रेस को सौंपी गई है। रिपोर्ट में कहा गया है ‎कि चूंकि चीन की ताकत बढ़ी है तो अपने हितों के लिए माने जा रहे खतरों को समाप्त करने तथा वैश्विक रूप से कूटनीतिक उद्देश्यों की पूर्ति करने की कोशिशों में चीन की कम्युनिस्ट पार्टी की धमकी देने और बल का इस्तेमाल करने की इच्छा तथा क्षमता प्रबल हुई है।
दरअसल चीन से लगी भारत की सीमा पर तनाव के बीच अमेरिका ने नयी दिल्ली का समर्थन किया। एक शीर्ष अमेरिकी राजनयिक ने बीजिंग पर आरोप लगाया कि वह अपने अतिसक्रिय और परेशान करने वाले व्यवहार से यथास्थिति को बदलने की कोशिश कर रहा है और उसका विरोध करना चाहिए। अमेरिकी विदेश विभाग में दक्षिण एवं मध्य एशिया ब्यूरो की निवर्तमान प्रमुख एलिस वेल्स ने कहा ‎कि मुझे लगता है कि सीमा पर जो तनाव है वह इस बात को याद दिलाता है कि चीन आक्रामक रुख जारी रखे हुए है। चाहे वह दक्षिण चीन सागर हो, या भारत से लगी सीमा, हम चीन द्वारा उकसाने वाला और परेशान करने वाला व्यवहार लगातार देख रहे हैं। यह इस बारे में सवाल खड़े करता है कि चीन अपनी बढ़ती शक्ति का इस्तेमाल किस तरह से करना चाहता है। व्हाइट हाउस ने कहा कि अमेरिका खुली और मुक्त व्यवस्था के साझा सिद्धांतों का समर्थन करने के लिए विदेशी सहयोगियों, साझेदारों और अंतरराष्ट्रीय संगठनों के साथ सहकारी साझेदारी और सकारात्मक विकल्प तैयार कर रहा है।

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