नई दिल्ली। भारतीय सेना लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा सर्दियों में तैनाती की तैयारी कर रही है। आजादी के दशकों बाद अपने सबसे बड़े सैन्य रसद ऑपरेशन में, भारतीय सेना ने पूर्वी लद्दाख में उच्च ऊंचाई वाले क्षेत्रों में लगभग चार महीनों की भयावह सर्दियों से निपटने के लिए टैंक, भारी हथियार, गोला-बारूद, ईंधन, भोजन और आवश्यक जरूरत की चीजों की आपूर्ति की है। सेना के एक अधिकारी का कहना है कि अब तक यह सबसे बड़ा लॉजिस्टिक ऑपरेशन है जिसे लद्दाख में आजादी के बाद लागू किया गया है।
सेना की उत्तरी कमान के ऑप्स-लॉजिस्टिक्स (ऑपरेशन-लॉजिस्टिक्स) विंग ने दूर-दराज सरहद पर तैनात सैनिकों को खाना-पीना और राशन इत्यादि को पहुंचाना शुरू कर दिया है, फिर वो कितनी ही विषम परिस्थितियां क्यूं ना हों। इसके लिए सेना की सर्विस कोर (आर्मी सर्विस कोर) से लेकर एविएशन-विंग और वायुसेना की मदद ली जा रही है। दरअसल चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ जनरल एमएम नरवणे, जुलाई के मध्य में शुरू हुई मैमथ एक्सरसाइज के कार्यान्वयन की योजना बनाने और उसकी देखरेख करने में व्यक्तिगत रूप से शामिल रहे हैं।
लॉजिस्टिक ऑपरेशन के तहत, सेना ने बड़ी संख्या में कपड़े, टेंट, खाद्य सामग्री, संचार उपकरण, ईंधन, हीटर और अन्य सामानों को 16,000 फीट की ऊंचाई पर पहुंचाया गया है। वहीं किसी भी चीनी दुस्साहस से निपटने के लिए भारत ने पूर्वी लद्दाख में तीन अतिरिक्त सेना प्रभागों की तैनाती की है। यहाँ अक्टूबर से जनवरी तक तापमान शून्य से 5 से शून्य से 25 डिग्री सेल्सियस के बीच होता है।
सूत्रों के मुताबिक भारत ने यूरोप के कुछ देशों से सर्दियों के कपड़े और गियर आयात किए हैं और उन्हें पूर्वी लद्दाख में सैनिकों को पहले ही आपूर्ति की जा चुकी है। वहीं सी -130 जे सुपर हरक्यूलिस और सी -17 ग्लोबमास्टर सहित भारतीय वायु सेना के लगभग सभी विमानों और हेलीकॉप्टरों का उपयोग क्षेत्र में हजारों टन भोजन, ईंधन और अन्य उपकरणों के परिवहन के लिए किया गया है।
भले ही इस वक्त भारत और चीनी सेनाओं के बीच में एक बार फिर से बातचीत के जरिए मसले को सुलझाने की कोशिशें हो रही हैं लेकिन भारतीय सेना के तेवर से साफ है कि वह किसी भी मोर्चे पर चीन के खिलाफ अपनी तैयारियों में कोई कोर कसर नहीं छोड़ना चाहती। पूर्वी लद्दाख में हजारों मील में फैली घाटी में भारतीय सेना के टी-90 टैंक और बीएमपी चीन के खिलाफ हुंकार भर रहे हैं। जरूरत पड़ने पर कुछ ही मिनटों में ये टैंक चीन की सरहद में घुसकर उसके ठिकानों को नेस्तनाबूद कर सकते हैं।
भारतीय सेना ने सर्दियों के महीनों में पूर्वी लद्दाख में सभी प्रमुख क्षेत्रों में सैनिकों की अपनी मौजूदा ताकत को बनाए रखने का फैसला किया है क्योंकि चीन के साथ सीमा रेखा के जल्द समाधान का कोई संकेत नहीं है। भारतीय वायु सेना ने भी वास्तविक नियंत्रण रेखा के साथ आगे के हवाई ठिकानों में हाई अलर्ट पर रहने का फैसला किया है।