एजेंसी
30 अप्रैल को पाकिस्तान की सुप्रीम कोर्ट ने पाकिस्तानी सरकार की याचिका पर फैसला देते हुए गिलगित-बाल्टिस्तान ऑर्डर, 2018 में बदलाव कर इस इलाके में एक कार्यकारी सरकार बनाने और नए सिरे से चुनाव करवाने के आदेश दिए थे। तब भारतीय विदेश मंत्रालय ने कहा था कि भारत सरकार ने इस मुद्दे पर स्थिति 1994 में संसद में पास हुए एक प्रस्ताव के जरिए स्पष्ट कर दी थी और भारत की आज भी यही राय है। इस बयान पर पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान से लेकर संयुक्त राष्ट्र में बैठे उनके प्रतिनिधि तक ने विधवा विलाप किया था। लेकिन अब भारत ने वह कर दिखाया है, जो बताता है कि हमारे एजेंडे में क्या है और क्या नहीं। भारत ने पाकिस्तान को साफ-साफ समझा दिया है कि गिलगित-बाल्टिस्तान उसका अभिन्न अंग है। भारतीय मौसम विभाग ने जम्मू-कश्मीर सब-डिविजन को अब जम्मू और कश्मीर, लद्दाख, गिलगित-बाल्टिस्तान और मुजफ्फराबाद कहना शुरू कर दिया है। गिलगित-बाल्टिस्तान और मुजफ्फराबाद, दोनों पर पाकिस्तान ने अवैध रूप से कब्जा कर रखा है। मंगलवार को मौसम विभाग ने नॉर्थवेस्ट इंडिया के लिए जो अनुमान जारी किए, उसमें गिलगित-बाल्टिस्तान और मुजफ्फराबाद को भी शामिल किया गया है। मौसम विभाग के डायरेक्टर-जनरल मृत्युंजय महापात्रा ने कहा कि विभाग पूरे जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के लिए वेदर बुलेटिन जारी करता रहा है। हम बुलेटिन में गिलगित-बाल्टिस्तान, मुजफ्फराबाद का जिक्र इसलिए कर रहे हैं क्योंकि वह भारत का हिस्सा है। इसी महीने की शुरुआत में भारत ने साफ कहा था कि पाकिस्तान का इन इलाकों पर कोई हक नहीं है।
अगर इस क्षेत्र के विवाद पर नजर डालें तो भारत और पाकिस्तान के बीच सबसे बड़ा विवाद जम्मू कश्मीर के ऊपर है। पाकिस्तान प्रशासित कश्मीर के पश्चिमी सिरे पर गिलगित और इसके दक्षिण में बाल्टिस्तान स्थित है। यह इलाका 4 नवंबर 1947 के बाद से ही पाकिस्तान के प्रशासन में है। भारत की आजादी से पहले गिलगित-बाल्टिस्तान जम्मू कश्मीर रियासत का ही हिस्सा था, लेकिन गिलगित-बाल्टिस्तान के इलाके को अंग्रेजों ने वहां के महाराजा से साल 1846 से लीज पर ले रखा था। ये इलाका ऊंचाई पर स्थित है, ऐसे में यहां से निगरानी रखना आसान था। यहां गिलगित स्काउट्स नाम की सेना की टुकड़ी तैनात थी। जब अंग्रेज भारत छोड़कर जाने लगे तो इसे जम्मू कश्मीर के महाराजा हरि सिंह को वापस कर दिया गया। हरि सिंह ने ब्रिगेडियर घंसार सिंह को यहां का गवर्नर बनाया। गिलगित स्काउट्स वहीं तैनात रही। उस समय इस फौज के अधिकांश अधिकारी अंग्रेज ही हुआ करते थे। 1947 में जब कश्मीर पर पाकिस्तानी फौज ने हमला कर दिया तो 31 अक्टूबर को महाराजा हरिसिंह ने भारत के साथ विलय के समझौते पर हस्ताक्षर कर दिए। इस तरह गिलगित-बाल्टिस्तान भी भारत का हिस्सा बन गया लेकिन गिलगित-बाल्टिस्तान में मौजूद फौज के अंग्रेज अधिकारियों ने इस समझौते को नहीं माना। वहां फौज ने गवर्नर घंसार सिंह को जेल में डाल दिया। वहां के अंग्रेज फौजी अधिकारियों ने पाकिस्तान के साथ गिलगित-बाल्टिस्तान को मिलाने का समझौता कर लिया।
इसमें अब नया विवाद यह है कि पाकिस्तान में चुनाव होने से पहले एक कार्यकारी सरकार का गठन होता है। यही कार्यकारी सरकार अपनी देखरेख में चुनाव करवाती है। 2009 से गिलगित-बाल्टिस्तान में चुनाव शुरू हए लेकिन यहां चुनाव से पहले कभी कार्यकारी सरकार का गठन नहीं होता था। 30 अप्रैल को पाकिस्तानी सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के नेतृत्व वाली सात न्यायाधीशों के एक बेंच ने अपने आदेश में यहां 2017 के चुनाव कानून के तहत संबंधित कानून बदल कर कार्यकारी सरकार बनाने और चुनाव करवाने के आदेश दिए गए हैं। इस फैसले में 2018 में गिलगित-बाल्टिस्तान को दी गई कई छूटों में भी कटौती की गई है।
भारत सरकार ने गिलगित बाल्टिस्तान में चुनाव कराने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि पाक प्रशासित कश्मीर और गिलगित-बाल्टिस्तान पर पाकिस्तान का अवैध कब्जा है इसलिए पाकिस्तान के पास यहां चुनाव करवाने का कोई अधिकार नहीं है। लेकिन पाकिस्तान पर भारत की समझाइश का कोई असर नहीं हो रहा था, इसीलिए अब मौसम विभाग ने यह हथकंडा अपनाया है।