नई दिल्ली। विद्युत मंत्रालय के सचिव ने यहां केन्द्रीय विद्युत प्राधिकरण (सीईए), सभी पांच क्षेत्रीय विद्युत समितियों (आरपीसी), पीजीसीआईएल और पोसोको के साथ भारतीय विद्युत प्रणाली में सभी मौजूदा व योजनाबद्ध आइसलैंडिंग योजनाओं की समीक्षा की। विद्युत ग्रिड का लचीलापन विशेष रूप से बड़ी विद्युत रुकावट की स्थिति में आपूर्ति की बहाली में बहुत महत्वपूर्ण है। आइसलैंडिंग योजना विद्युत व्यवस्था के लिए एक रक्षा तंत्र है जिसमें प्रणाली के एक हिस्से को बाधित ग्रिड से अलग किया है जिससे यह उपभाग बाकी ग्रिड से अलग रह सके और इस क्षेत्र में आवश्यक भार की आपूर्ति में निरंतरता बनी रहे। इसके अनुरूप, सीईए को मौजूदा आइसलैंडिंग योजनाओं के कार्यात्मक पहलू को सुनिश्चित करने और बड़े शहरों के लिए आइसलैंडिंग योजनाओं को डिजाइन करने की सलाह दी गई थी। ऐसी विद्युतीय आइसलैंडेड प्रणाली में, आवश्यक भारों की पहचान की जानी चाहिए और उन्हें कवर किया जाना चाहिए जिससे किसी भी बड़ी कटौती के दौरान भी ये लोड जारी रहें। सीईए ने सूचित किया है, पहले से ही 26 मौजूदा/कार्यान्वयन अधीन योजना के अलावा प्रमुख शहरों के लिए 17 नई आइसलैंडिंग योजनाओं की योजना बनाई गई है। सीईए ने आगे सूचित किया कि उसने सभी एसएलडीसी को प्रतिभागी उत्पादकों और महत्वपूर्ण भार की रियल टाइम निगरानी के लिए स्काडा पर आइसलैंडिंग योजना का एक अलग डिस्प्ले लगाने की सलाह दी है और यह डिस्प्ले संबंधित आरएलडीसी/एसएलडीसी/उप एसएलडीसी पर भी उपलब्ध होगा। इससे ऐसे विद्युतीय आइसलैंड्स के भार उत्पादन बैलेंस की रियल टाइम निगरानी में सहायता मिलेगी जो सफल आइसलैंडिंग का मूलतत्व है।

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