कोलकाता। पश्चिम बंगाल विधानसभा ने मंगलवार को एक प्रस्ताव पारित कर अस्थायी समिति की रिपोर्ट का समर्थन किया जिसमें विधान परिषद के गठन की बात कही गई है। वहीं, विपक्षी भाजपा ने इसका विरोध किया है। विधान परिषद् के गठन के समर्थन के लिए मतदान हुआ जिसका सदन में मौजूद 265 सदस्यों में से 196 ने समर्थन किया और 69 ने विरोध किया। प्रस्ताव का विरोध करते हुए भाजपा विधायक दल ने कहा कि टीएमसी (तृणमूल कांग्रेस) पिछले दरवाजे की राजनीति करना चाहती है ताकि विधानसभा चुनावों में हारने के बावजूद नेता निर्वाचित हो जाएं। बीजेपी ने यह भी कहा कि इस कदम से राज्य के राजस्व पर दबाव पड़ेगा। भाजपा के सुर में सुर मिलाते हुए आईएसएफ के एकमात्र विधायक नौशाद सिद्दिकी ने भी प्रस्ताव का विरोध किया।
बीजेपी नेता शुवेंदु अधिकारी ने कहा कि ‘ज्यादातर राज्यों में या तो उच्च सदन नहीं है या पहले ही इसे खत्म कर दिया गया है। टीएमसी की योजना के पीछे असली कारण उन नेताओं को पिछले दरवाजे से लाना है जो विधानसभा चुनाव हार गए। राज्य एक तरफ कह रहा है कि उसके पास फंड नहीं है, लेकिन इस विधान परिषद के बनने से हर साल 90-100 करोड़ रुपये का अतिरिक्त दबाव पड़ेगा। उन्होंने कहा, ‘हम देखेंगे कि इसे संसद के दोनों सदनों में कैसे पारित किया जाता है। साल 1952 से 1969 तक जब राज्य विधानसभा में विधान परिषद थी, उस दौरान 436 विधेयकों में से केवल दो विधेयक पास हो पाए थे। उधर, टीएमसी के प्रस्ताव पर पार्थ चटर्जी ने कहा कि जीवन के विभिन्न क्षेत्रों से समाज के प्रसिद्ध व्यक्तित्वों को निर्णय लेने की प्रक्रिया में शामिल किया जाता है। जो लोग राज्य के खजाने के बारे में बहुत परेशान हैं, उन्हें पहले केंद्र से जीएसटी फंड जारी करने के लिए कहना चाहिए। भाजपा सरकार को चाहिए कि महामारी के दौरान पहले सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट को रोकें और फिर दूसरों को लेक्चर दें। टीएमसी सरकार ने साल 2011 में सत्ता में आने के बाद विधान परिषद की स्थापना के लिए राज्य विधानसभा में प्रस्ताव रखा था। प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया गया था और इस संबंध में एक समिति भी गठित की गई थी। इसके साथ ही समिति ने अपनी रिपोर्ट दे दी थी और यह निर्णय लिया गया था कि विधान परिषद के निर्माण बनाने के लिए प्रस्ताव लाया जाएगा। अब प्रस्ताव को राज्यपाल से मंजूरी की जरूरत होगी और उसके बाद संसद में एक विधेयक पारित किया जाएगा। फिर इसे राष्ट्रपति की सहमति के लिए भेजा जाना है ताकि विधान परिषद बनाई जा सके। फिलहाल छह राज्यों में एक विधान परिषद है जिसमें महाराष्ट्र, तेलंगाना, उत्तर प्रदेश, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक और बिहार शामिल है।