अविनाश भगत : सूबा-ए जम्मू कश्मीर से धारा 370 व अनुच्छेद 35ए को हटाए जाने के बाद आज 100 दिन पूरे हो गए हैं। वहीं सूबे को दो संघ शासित प्रदेशों क्रमशः लददाख व जम्मू कश्मीर के तौर पर पुनर्गठित भी किया गया। इन 100 दिनों में जहां घाटी में पर्यटन तथा फल उद्योग को भारी नुकसान पहुंचा। वहीं जम्मू में धारा 370 व अनुच्छेद 35ए को हटाए जाने का व्यापक स्वागत हुआ। विशेषकर पाकिस्तान से आए शरणार्थियों तथा पंजाब से यहां आकर बसे बाल्मिकी समुदाये में आपार खुशी देखी गई। चुंकि इन दोनों वर्गों को नागरिकता का अधिकार न मिल पाने के कारण तरह ताह की दुश्वारियों का सामना करना पड़ रहा था।

बाल्मिकी समुदाय को मिली राहत
बताया गया कि केंद्र की मोदी सरकार के इस साहसिक एवं ऐतिहासिक कदम का मकसद उक्त दोनों नये संघ शासित प्रदेशों को विकास को गति देना तथा आतंकवाद पर काबू पाना है।
हालांकि यहां से धारा 370 व अनुच्छेद 35ए को हटाए जाने से जम्मू के सरहदी इलाकों में रह रहे पश्चिमी शरणार्थियों तथा यहां शहर में रह रहे पंजाब से आए बाल्मिकी समुदाय को काफी बड़ी राहत मिली है। पश्चिमी पाकिस्तान शरणार्थी के प्रधान लब्बाराम गांधी ने इस संवाददाता से बातचीत करते हुए कहा कि धारा 370 व 35ए के कारण हमारे सिर के उपर लटकी तलवार मोदी सरकार के कारण ही हट पाई है।

घाटी के हालात चिंताजनक
लेकिन उधर सरकार व प्रशासन की तमाम कोशिशों के बावजूद घाटी के हालात अभी भी चिंताजनक बने हुए हैं। सुरतेहाल यह है कि घाटी में पर्यटन उद्योग से लेकर फल उत्पादन वाले बागवानी उद्योग को कश्मीर में बने हालात के चलते भारी धक्का लगा है। जबकि केंद्र सरकार तथा यहां के शासन की ओर से बागवानी उद्योग से जुड़े किसानों को आगे बढ़कर मदद की भी कोशिश की गई है। चूंकि घाटी में आज भी आम आदमी के लिए ब्राडबैंड से लेकर मोबाईल इंटरनेट सेवा बंद पड़ी है। घाटी के कारोबारियों का कहना है कि अरसा पूर्व तक सरकार के कड़े प्रतिबंधों तथा आतंकी गतिविधियों के कारण भी व्यापारी तथा छोटे कारोबारी दुश्वारियों का सामना करने को मजबूर हैं।

लेह में लगातार जश्न का माहौल
गौरतलब है कि बीती 5 अगस्त को जब जम्मू कश्मीर धारा 370 व अनुच्छेद 35ए को हटाए जाने का देश की संसद से ऐलान हुआ तब जम्मू में व्यापक खुशी का इजहार हुआ था। यह अलग बात है कि घाटी में स्थानीय मुख्यधारा से जुड़े दल व नेता, अलगववादी नेता, आतंकवादी तथा सरहद पार पाकिस्तान विरोध में दिखाई दिए। उधर लद्दाख में अलग संघ शासित प्रदेश बनने पर लेह में लगातार जश्न का माहौल बना रहा।

नये टोल प्लाजा को लेकर नाराजगी
बताते चलें कि इन 100 दिनों के भीतर घाटी में जहां आज भी असंतोष तथा अजीब सी खामोशी व्याप्त है। वहीं जम्मू में सांबा जिला के अंतर्गत मुख्य राष्ट्रीय राजमार्ग पर सरोर इलाके में बने नये टोल प्लाजा को लेकर सरकार व शासन के प्रति व्यापक नाराजगी बनी हुई है। जम्मू संभाग में एक बड़ा वर्ग जम्मू कश्मीर को यूटी बनाए जाने से भी असंतुष्ट है। हालांकि इन 100 दिनों के भीतर एक सुखद पहल यह हुई कि यहां पहली बार ब्लाक डेवेलपमेंट कौंसिल यानि बीडीसी के चुनाव सम्पन्न हुए। सरकार का मकसद इन चुनाव के पीछे गांव के अंतिम व्यक्ति को बीडीसी के जरिए सशक्त बनाना है। भाजपा को करारी हार का मुंह देखना पड़ा।

 

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